वित्त मंत्री ने किया नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के ऑनलाइन डैशबोर्ड का शुभारंभ
यह नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) परियोजना डाटाबेस बुनियादी परियोजनाओं में घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए वास्तविक समय अपडेट प्रदान करने में मदद करेगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस 10 अगस्त को नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के ऑनलाइन डैशबोर्ड का शुभारंभ किया है. यह डैशबोर्ड 6,800 से अधिक परियोजनाओं का ऑनलाइन प्रदर्शन करेगा.
एनआईपी के ऑनलाइन डैशबोर्ड को इंडिया इनवेस्टमेंट ग्रिड (आईआईजी) पर प्रस्तुत (अपलोड) किया जाना है. यह एक ऐसा गतिशील और इंटरैक्टिव ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो भारत में निवेश के अपडेटेड अवसरों को वास्तविक समय के साथ प्रदर्शित करता है.
वित्त मंत्रालय के अनुसार, यह नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) परियोजना डाटाबेस बुनियादी परियोजनाओं में घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए वास्तविक समय अपडेट प्रदान करने में मदद करेगा.
एनआईपी के ऑनलाइन डैशबोर्ड का शुभारंभ
वित्त मंत्रालय ने यह सूचित किया है कि, देश में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ-साथ नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए भी इस ऑनलाइन डैशबोर्ड का शुभारंभ किया गया है.
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के अनुसार, एनआईपी आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, और आईआईजी पर एनआईपी परियोजनाओं की उपलब्धता से अद्यतन परियोजना सूचना तक आसान पहुंच सुनिश्चित होगी और इसके साथ ही विभिन्न पीपीपी परियोजनाओं के लिए निवेशकों को भी आकर्षित किया जा सकेगा.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि, यह एनआईपी को लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा, जो देश में अवसंरचना के विकास को बढ़ावा देगा.
इस अवसर पर उपस्थित वित्त राज्य मंत्री, अनुराग ठाकुर ने यह कहा कि, एनआईपी का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों जैसे रसद, परिवहन, संचार, जल और स्वच्छता और ऊर्जा जैसी अन्य बुनियादी सुविधाओं के विकास को बढ़ावा देना है.
बुनियादी परियोजनाओं के लिए सरकार की योजना
वर्ष 2019-20 के अपने बजट भाषण में, वित्त मंत्री ने अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 100 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय की घोषणा की थी. उच्च स्तरीय टास्क फोर्स ने वित्त वर्ष 2020-2025 के दौरान एनआईपी में 111 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित बुनियादी निवेश के लिए अपनी अंतिम रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है.
एनआईपी, जो सामाजिक और आर्थिक बुनियादी परियोजनाओं को कवर करता है, विभिन्न निवेशों को आकर्षित करेगा, बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं की तैयारी में सुधार करेगा और वित्त वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी आवश्यक होगा.
रेल मंत्रालय का बड़ा फैसला, सभी रेगुलर यात्री ट्रेनें अनिश्चितकाल के लिए रद्द
रेलवे ने कहा है कि इस समय चल रहीं 230 विशेष ट्रेनें चलती रहेंगी. मुंबई में राज्य सरकार की जरूरत के मुताबिक केवल सीमित आधार पर चल रहीं लोकल ट्रेनें भी चलती रहेंगी.
भारतीय रेलवे ने देश में कोरोना वायरस (Covid-19) दिन प्रतिदिन बढ़ते मामलों के मद्देनजर बड़ा कदम उठाया है. रेलवे ने कहा है कि सभी नियमित यात्री ट्रेन सेवाएं अगले नोटिस तक निलंबित रहेंगी. वहीं 230 विशेष ट्रेनें (Special Trains) चलती रहेंगी. यह जानकारी भारतीय रेलवे ने अपने एक बयान में दी.
रेलवे ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों के संज्ञान में लाया जाता है, जैसा पहले ही निर्णय लिया गया है और सूचित किया गया है कि नियमित यात्री और लोकल ट्रेन सेवाएं अगले नोटिस तक निलंबित रहेंगी. रेलवे ने कहा कि इस समय चल रहीं 230 विशेष ट्रेनें चलती रहेंगी.
चलती रहेंगी 230 विशेष ट्रेनें
रेलवे ने कहा है कि इस समय चल रहीं 230 विशेष ट्रेनें चलती रहेंगी. मुंबई में राज्य सरकार की जरूरत के मुताबिक केवल सीमित आधार पर चल रहीं लोकल ट्रेनें भी चलती रहेंगी. रेलवे ने कहा कि विशेष ट्रेनों में यात्रियों की संख्या पर नियमित नजर रखी जा रही है और आवश्यकता के आधार पर अतिरिक्त विशेष ट्रेनें चलाई जा सकती हैं.
उपनगरीय ट्रेनें अगले नोटिस तक निलंबित
रेलवे ने कहा कि लॉकडाउन से पहले तक चल रहीं अन्य सभी नियमित ट्रेनें और उपनगरीय ट्रेनें अगले नोटिस तक निलंबित रहेंगी. इससे पहले रेलवे ने सभी ट्रेन सेवाओं को 12 अगस्त तक निलंबित कर दिया था.
166 सालों में ये पहला मौका
गौरतलब है कि बीते मार्च महीने से देशभर में शुरू किए गए सख्त लॉकडाउन के बाद रेल ऑपरेशन बंद कर दिया गया था. दुनिया के चौथे बड़े रेल नेटवर्क भारतीय रेलवे ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए यात्री ट्रेनों का आपरेशन बंद किया था. 166 सालों में ये पहला मौका था जबकि भारतीय रेलवे ट्रेनों का संचालन बंद किया गया. भारतीय रेलवे प्रतिदिन 20,000 से ज्यादा यात्री ट्रेनें संचालित करता है. लॉकडाउन से पहले तक इन ट्रेनों से रोज लगभग ढाई करोड़ लोग सफर करते रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पिता की पैतृक संपत्ति पर बेटी का समान अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि भले ही हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के लागू होने से पहले ही किसी की मृत्यु हो गई हो, तो भी उनकी बेटियों का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2020 को अपने आदेश में कहा कि संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में एक बेटी संपत्ति की बराबर की अधिकारी है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि भले ही हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के लागू होने से पहले ही किसी की मृत्यु हो गई हो, तो भी उनकी बेटियों का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा.
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने 11 अगस्त 2020 को उस अपील पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि क्या हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 का पूर्वव्यापी प्रभाव होगा या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बेटों की ही तरह, बेटियों को भी बराबर के अधिकार दिए जाने चाहिए. बेटियां जीवनभर बेटियां ही रहती हैं. बेटी अपने पिता की संपत्ति में बराबर की हकदर बनी रहती है, भले उसके पिता जीवित हों या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिनियम में संशोधन का मकसद बेटियों को बराबरी प्रदान करना था. कोर्ट ने साफ किया कि अगर पिता की मौत अधिनियम लागू होने से पहले हो गई है तो भी बेटी को पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी
कोर्ट ने इसके अतिरिक्त ये भी साफ किया कि साल 2005 से जन्मी बेटियों का भी संपत्ति पर बराबर का हक होगा. कोर्ट ने कहा कि हिंदू महिला को अपने पिता की संपत्ति में भाई के समान ही हिस्सा मिलेगा. कोर्ट ने कहा कि 09 सितंबर 2005 के से पहले और बाद से बेटियों के हिंदू अविभाजित परिवार की में हिस्सा मिलेगा.
यह कानून लागू होगा
बता दें कि साल 2005 में कानून बना था कि बेटा और बेटी दोनों के पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार होगा. लेकिन, इसमें यह स्पष्ट नहीं था कि यदि पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई है तो यह कानून ऐसे परिवार पर लागू होगा या नहीं. अब न्यायाधीश अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाया है कि यह कानून हर परिस्थिति में लागू होगा.
हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार कानून में हुआ संशोधन 09 सितंबर 2005 से लागू हुआ. कानून कहता है कि कोई फर्क नहीं पड़ता है कि बेटी का जन्म इस तारीख से पहले हुआ है या बाद में, उसका पिता की संपत्ति में अपने भाई के बराबर ही हिस्सा होगा.
साल 2005 में कानून बना था कि बेटा और बेटी दोनों के पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार होगा. लेकिन, इसमें यह स्पष्ट नहीं था कि यदि पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई हो तो क्या ये कानून ऐसे परिवार पर लागू होगा या नहीं.
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1965 में साल 2005 में संशोधन किया गया था. इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबरी का हिस्सा देने का प्रावधान है. इसके अनुसार कानूनी वारिस होने के चाने पिता की संपत्ति पर बेटी का भी उतना ही अधिकार है जितना कि बेटे का. विवाह से इसका कोई लेना-देना नहीं है.
US Elections 2020: भारतीय मूल की कमला हैरिस होंगी उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार
अमेरिका में इस साल नवंबर माह में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं. अमेरिका में होने वाले उपराष्ट्रपति पद के लिए भारतीय मूल की कमला हैरिस भी मैदान में हैं. कमला हैरिस भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन ने सांसद कमला हैरिस को उप-राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. इस पद के लिए चुनाव लड़ने वाली वो पहली अश्वेत महिला होंगी. बता दें कि कमला हैरिस भारतीय-जमाईका मूल की हैं.
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने के बाद सीनेटर कमला हैरिस ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो बिडेन अमेरिका के लोगों को एकजुट कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने पूरे जीवन में हमारे लिए संघर्ष किया है. कमला हैरिस को उमीदवार बनाए जाने की भारतीय- अमेरिकी समुदाय ने काफी प्रशंसा की है.
अमेरिका में इस साल नवंबर में चुनाव
अमेरिका में इस साल नवंबर माह में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं. अमेरिका में होने वाले उपराष्ट्रपति पद के लिए भारतीय मूल की कमला हैरिस भी मैदान में हैं. कमला हैरिस भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं.
कमला हैरिस के बारे में
• कमला हैरिस भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं. उनकी मां श्यामा गोपालन हैरिस का जन्म चेन्नई में हुआ था. वे एक कैंसर शोधकर्ता थीं. उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के रहने वाले हैं, जो फिलहाल स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं.
• कमला हैरिस दो बार कैलीफोर्निया की अटार्नी जनरल रह चुकी है. कमला हैरिस ऑकलैंड में पली-बढ़ी हैं. उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली है. इसके बाद कमला ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है.
• हैरिस सैन फ्रांसिस्को में जिला अटॉर्नी के रूप में भी काम कर चुकी हैं. वे साल 2003 में सैन फ्रांसिस्को की जिला वकील बनी थीं. हैरिस ने साल 2017 में कैलिफोर्निया से संयुक्त राज्य सीनेटर के रूप में शपथ ली थीं.
• उन्होंने होमलैंड सिक्योरिटी एंड गवर्नमेंट अफेयर्स कमेटी, इंटेलिजेंस पर सेलेक्ट कमेटी, ज्यूडिशियरी कमेटी और बजट कमेटी में भी काम किया.
उपराष्ट्रपति पद का टिकट पाने वाली पहली एशियाई अमेरिकी महिला
उपराष्ट्रपति पद का टिकट पाने वालीं कमला हैरिस पहली एशियाई-अमेरिकी हैं. वे डेमोक्रेट गेराल्डाइन फेरारो और रिपब्लिकन सारा पॉलिन के बाद एक प्रमुख पार्टी की पहली अफ्रीकी अमेरिकी और उस पद के लिए उम्मीदवारी करने वाली तीसरी महिला भी हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई अश्वेत महिला अमेरिका में किसी बड़ी पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनी हैं.