Current Affairs 21 Aug 2020

केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, कोरोना संकट में बेरोजगार हुए कामगारों को आधी सैलरी देगी सरकार

केंद्र सरकार ने कोरोना संकट में बेरोजगार हुए औद्योगिक कामगारों के लिए बहुत अच्छी खबर दी है. यह प्रस्ताव 20 अगस्त 2020 को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की बैठक में रखा गया था.

केंद्र सरकार ने कोरोना संकट में बेरोजगार हुए औद्योगिक कामगारों को राहत दी है. ऐसे कर्मचारियों को उनके पिछले तीन महीने के वेतन के औसत से लगभग 50 प्रतिशत तक की रकम बेरोजगारी हितलाभ के रूप में दी जाएगी. इस फैसले का लाभ लगभग 40 लाख कामगारों को होने की उम्मीद है.

केंद्र सरकार ने कोरोना संकट में बेरोजगार हुए औद्योगिक कामगारों के लिए बहुत अच्छी खबर दी है. सरकार ने नियमों को लचीला बनाते हुए यह फैसला लिया है कि कोरोना संकट (कोविड-19) में नौकरी गंवा चुके औद्योगिक कामगारों को उनके तीन महीने के वेतन का 50 प्रतिशत तक बेरोजगारी हितलाभ के तौर पर दिया जाए.

किसे मिलेगा यह फायदा

यह फायदा केवल उन कामगारों को मिलेगा जिन्होंने 24 मार्च से 31 दिसंबर 2020 के बीच अपनी नौकरी गंवाई है या गंवाएंगे. जो वर्कर्स कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के तहत रजिस्टर्ड हैं, केवल उन्हें ही इस भत्ते का फायदा मिलेगा. इस योजना का फायदा केवल उन्हीं कामगारों को मिलेगा जो ईएसआई के साथ कम से कम पिछले दो सालों से जुड़े हुए हैं.

ESIC की बैठक में रखा गया प्रस्ताव

यह प्रस्ताव 20 अगस्त 2020 को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की बैठक में रखा गया था. कर्मचारी राज्य बीमा निगम श्रम मंत्रालय के तहत आने वाला एक संगठन है जो 21,000 रुपये तक के कर्मचारियों को ईएसआईसी स्कीम के तहत बीमा मुहैया करती है. कर्मचारी राज्य बीमा निगम के बोर्ड की सदस्य अमरजीत कौर ने बताया कि इस कदम से ईएसआईसी के तहत बीमित योग्य व्यक्तियों को उनके तीन महीने तक उनके वेतन के 50 प्रतिशत तक रकम नकद सहायता के रूप में दी जाएगी.

फायदा कैसे​ मिलेगा

ईएसआईसी अपने डेटा के अनुसार बेरोजगार कामगारों को यह फायदा देगा, लेकिन इसके लिए कर्मचारी किसी ईएसआईसी शाखा में जाकर सीधे भी आवेदन कर सकते हैं और उचित जाँच (वेरिफिकेशन) के बाद उनके बैंक खाते में सीधे रकम पहुंच जाएगी. इसके लिए आधार नंबर की भी सहायता ली जाएगी.

1.9 करोड़ लोग नौकरियां गंवा दिए

गौरतलब है कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक कोरोना संकट की वजह से लगभग 1.9 करोड़ लोग नौकरियां गंवा चुके हैं. सिर्फ जुलाई महीने में ही 50 लाख लोग बेरोजगार हुए हैं. हालांकि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के अनुसार, जून महीने में 4.98 लाख लोग औपचारिक कार्यबल से जुड़े हैं.

दिल्ली में दूसरे Sero सर्वे का परिणाम जारी, जानिए इसके बारे में सबकुछ

दिल्ली में कोविड-19 स्थिति के व्यापक आकलन के लिए एक अगस्त से सात अगस्त तक यह सर्वे किया गया था. इस सर्वे के तहत यह पता लगाने के लिए रक्त के नमूनों की जांच की जाती है कि लोगों में वायरस संक्रमण के खिलाफ कितने एंटीबॉडी बने है.

दिल्ली में दूसरे कोविड-19 सिरोलॉजिकल सर्वे (Covid-19 Sero Survey) का परिणाम जारी हो चुके हैं. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने 20 अगस्त 2020 को कहा कि इस बार के सिरो सर्वे में 29.1 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिले हैं. यानी कि दिल्ली में लगभग 58 लाख लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनी पाई गई है.

दिल्ली में कोविड-19 स्थिति के व्यापक आकलन के लिए एक अगस्त से सात अगस्त तक यह सर्वे किया गया था. इस सर्वे के तहत यह पता लगाने के लिए रक्त के नमूनों की जांच की जाती है कि लोगों में वायरस संक्रमण के खिलाफ कितने एंटीबॉडी बने है. यह पिछले सर्वे के मुकाबले छह प्रतिशत ज्यादा है.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा?

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि इसमें 15,000 लोगों के सैंपल लिए गए थे. 28.3% पुरुषों और 32.2% महिलाओं में एंटीबॉडी मिले हैं. सर्वे में सभी आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया गया था. अच्छी बात ये है कि 29% लोग ठीक हो चुके हैं.

दूसरे राउंड के सीरो सर्वे का रिपोर्ट

सत्येंद्र जैन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दिल्ली में 1 अगस्त से 7 अगस्त तक सीरो सर्वे सैंपल लिए गए थे. इसमें 29.1% लोगों में इस बार एंटीबॉडी पाई गई है. यह दूसरे राउंड के सीरो सर्वे का रिपोर्ट है. पिछली बार का सैंपल साइज 21,387 था, वहीं इस बार 15,000 लोगों के सैंपल लिए गए थे. दिल्ली की आबादी लगभग 2 करोड़ है.

पहली सीरो सर्वे रिपोर्ट

स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि पिछली बार 27 जून से 10 जुलाई तक किए गए सर्वे में पता चला था कि लगभग 24 प्रतिशत लोगों के नमूनों में एंटीबॉडी की मौजूदगी पाई गई थी जिसका मतलब है कि वे कोविड-19 से प्रभावित थे. इस सर्वे के लिए विभिन्न क्षेत्रों से विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के 15,000 से अधिक नमूने एकत्र किए गए थे.

दिल्ली की आबादी लगभग 2 करोड़

स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली की आबादी लगभग 2 करोड़ है, और 15 हजार सैम्पल लिए गए थे यानी करीब 60 लाख लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन गई हैं. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभी तक हम हर्ड इम्युनिटी की तरफ नहीं बढ़े हैं, 70 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनमें एंटीबॉडी नहीं बने हैं.

दिल्ली के सभी 11 जिलों में सर्वे कराया गया

दिल्ली के सभी 11 जिलों में सर्वे कराया गया था जिसके मुताबिक साउथ ईस्ट दिल्ली में सबसे ज़्यादा 33.2 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाई गई है. जबकि पहले सीरो सर्वे में साउथ ईस्ट ज़िले में 22.12 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थीं, यानी इस बार 50.09 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी यहां देखने को मिली है. सबसे कम 16.3 प्रतिशत एंटीबॉडीज साउथ वेस्ट ज़िले में पाई गई हैं. पिछले सर्वे में यहां 12.95 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थीं.

सीरोलॉजिकल सर्वे अगले दो चरण में

दिल्ली में सीरोलॉजिकल सर्वे के अगले दो चरण सितंबर और अक्टूबर महीने में कराये जायेंगे. इस सर्वे के अंतर्गत रैंडम ब्लड सैम्पल लिये जाते हैं. और ये टेस्ट किया जाता है कि कितने लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन गए हैं. जिन लोगों में एंटीबॉडीज पाये जाते हैं उसका मतलब है कि वो कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं.

सीरो सर्वे से शरीर में एंटीबॉडी का पता लगता है

सीरो सर्वे में रक्त का सैंपल लिया जाता है. इसमें पता लगाया जाता है कि शरीर में कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनी है या नहीं. एंटीबॉडीज बनने का मतलब है कि कोरोना हुआ और ठीक हो गए. इस सर्वे में एक चौथाई अलग-अलग उम्र और वर्ग (बच्चे, बुजुर्ग, महिला, पुरुष) के लोगों को शामिल किया गया था.

हर्ड इम्युनिटी कब बनती है

विशेषज्ञों का कहना है कि 40 से 70 प्रतिशत लोग संक्रमित होकर ठीक हो जाते हैं तो माना जाता है कि हर्ड इम्युनिटी बन गई है. अभी तक दिल्ली में 24 प्रतिशत का डाटा आ चुका है और वे ठीक हो चुके हैं. लेकिन अभी नए केस आ रहे हैं. इसलिए अभी फिलहाल हर्ड इम्यूनिटी के बारे में कोई दावा नहीं किया जा सकता.

रिकवरी रेट भी बढ़कर 90 फीसदी से ज्यादा

स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने ये भी कहा कि, दिल्ली में एक समय संक्रमण दर 30 प्रतिशत पहुंच गया था. अभी यह छह प्रतिशत पर है. रिकवरी रेट भी बढ़कर 90 फीसदी से ज्यादा हो गया है. सरकार कोरोना के खिलाफ मजबूती से कदम उठा रही है और हालात लगातार बेहतर होते जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को बयान पर पुनर्विचार के लिए दिया समय

प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए 14 अगस्त को अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया गया था.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सजा पर सुनवाई टाल दी है. कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया है.

कोर्ट की अवमानना के मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वह हर तरह की सजा के लिए तैयार हैं. भूषण ने कहा मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अवमानना केस में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्वीट मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए वकील प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना है. वकील प्रशांत किशोर पर अवमानना की कार्रवाई उनके दो ट्वीट को लेकर की गई है.

कोर्ट ने अपने फैसले में प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी बताया है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस मामले में अधिवक्ता प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया.

प्रशांत भूषण को क्यों माना गया दोषी

प्रशांत भूषण को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के बारे में किए गए दो ट्वीट्स के लिए अवमानना ​​का दोषी माना है. कोर्ट ने जून में प्रशांत भूषण की ओर से मुख्य न्यायाधीश के बारे मे किए गए दो ट्वीट पर अवमानना का स्वत: संज्ञान लिया था.

प्रशांत भूषण ने सीजेआइ बोबडे की मोटरबाइक पर बैठे तस्वीर प्रकाशित होने पर ट्वीट किया था. उन्होंने कहा था कि कोरोना महामारी में शारीरिक दूरी को बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामान्य कामकाज को बंद कर दिया गया है और सीजेआइ बिना मास्क लगाए लोगों के बीच मौजूद हैं. जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने उनके इस ट्वीट को अदालत की अवमानना मानते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था.

प्रशांत भूषण ने अपने हलफनामे में क्या कहा?

प्रशांत भूषण ने अपने हलफनामे में कहा था कि किसी एक प्रधान न्यायाधीश या उसके बाद के प्रधान न्यायाधीशों के कामकाज की आलोचना करने का मतलब सुप्रीम कोर्ट की छवि को खराब करना नहीं है. उन्होंने कहा कि मोटरसाइकिल पर बैठे सीजेआइ के बारे में उनका ट्वीट, पिछले तीन महीने से अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट में सामान्य कामकाज नहीं होने पर उनकी पीड़ा को दर्शाता है.

कारण बताओ नोटिस जारी

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रशांत भूषण को 22 जुलाई 2020 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. 5 अगस्त 2020 को मामले में सुनवाई पूरी हो गई थी.

सजा का प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट की अवमानना अधिनियम की धारा 12 के तहत तय किए गए सजा के प्रावधान के अनुसार, दोषी को छह महीने की कैद या दो हजार रुपए तक नकद जुर्माना या फिर दोनों हो सकती है.

अयोध्या में शुरू हुआ राम मंदिर का निर्माण: राम मंदिर ट्रस्ट

मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी ने मिट्टी का परीक्षण किया है. अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण 36 से 40 महीने में पूरा होगा.

राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने 20 अगस्त 2020 को बताया कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है. अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का सपना आकार लेने लगा है. राम मंदिर भूमि पूजन के बाद राम मंदिर निर्माण की कवायद तेज कर दी गई है. इसी सिलसिले में 20 अगस्त 2020 को बैठक आयोजित की गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 05 अगस्त 2020 को देश के अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था. इसके बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता खुल गया. अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. इसकी जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ट्वीट कर दी. CBRI रुड़की और IIT मद्रास ने निर्माण कार्य शुरू किया है.

मंदिर का निर्माण 36 से 40 महीने में पूरा होगा

मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी ने मिट्टी का परीक्षण किया है. अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण 36 से 40 महीने में पूरा होगा और इसका प्राचीन पद्धति से निर्माण किया जाएगा. इसमें कोई लोहे का प्रयोग नहीं होगा. ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर निर्माण में भारत की प्राचीन व पारंपरिक तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. यह इतना मजबूत होगा कि भूकंप, तूफान या किसी भी प्राकृतिक आपदा का सामना कर सके.

राम मंदिर निर्माण को लेकर महत्वपूर्ण बैठक

दिल्ली में राम मंदिर निर्माण को लेकर महत्वपूर्ण बैठक हुई. राम मंदिर भवन निर्माण समीति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में में 20 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण को लेकर बैठक हुई. बैठक में RSS के सरकार्यवाह भैया जी जोशी, IIT मद्रास, CBRI रुड़की और मंदिर निर्माण करने वाले कंपनी समेत 10 प्रतिनिधि मौजूद थे

बैठक में क्या फैसला हुआ?

बैठक में यह फैसला हुआ है कि मंदिर निर्माण पूरा होने तक प्रोग्रेस रिपोर्ट के लिए रोज़ मीटिंग होगी. बैठक में निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए चर्चा हुई. बैठक में इसमें तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, राम मंदिर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के अलावा वास्तु शास्त्री भी मौजूद रहे.

10,000 पत्तियों की आवश्यकता

ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा. निर्माण कार्य के लिए 18 इंच लंबी, 3 एमएम गहरी और 30 एमएण चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी.

तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव ने क्या कहा?

तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर साल दो करोड़ लोग अयोध्या दर्शन के लिए आते हैं. राम मंदिर बन जाने के बाद यह आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा.

ट्रस्ट के महासचिव के अनुसार, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) तथा आईआईटी मद्रास के प्रोफेसरों ने मिलकर भूकंप संबंधी विषयों एवं प्रभावों को मापा है. लगभग 3 एकड़ जमीन पर मंदिर का निर्माण होगा और लगभग 1200 खम्भे होंगे

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