राकेश अस्थाना को BSF का नया महानिदेशक नियुक्त किया गया
राकेश अस्थाना को तेज तर्रार अफसर माना जाता है. वे गुजरात कैडर के 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं. उनके पास स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी है.
राकेश अस्थाना को हाल ही में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का महानिदेशक नियुक्त किया गया है. राकेश अस्थाना वर्तमान में नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के महानिदेशक और नारकोटिस्क कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के अतिरिक्त प्रभार के साथ काम कर रहे हैं.
कार्मिक मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का महानिदेशक और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वी एस के कौमुदी को गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) नियुक्त किया गया है.
27वें महानिदेशक
वे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 27वें महानिदेशक हैं. आदेश में कहा गया है कि राकेश अस्थाना पद का कार्यभार संभालने की तारीख से 31 जुलाई 2021 तक बीएसएफ महानिदेशक के रूप में रहेंगे. अगले साल 31 जुलाई उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख है.
सबसे बड़ी चुनौती
राकेश अस्थाना के लिए सबसे बड़ी चुनौती घुसपैठ पर रोक लगाना रहेगी. वजह है पाकिस्तान सीमा से आतंकी कश्मीर में घुसपैठ करते हैं तो वहीं बांग्लादेश सीमा से तस्कर पश्चिम बंगाल में घुसने का प्रयास करते हैं. उनके सामने पाकिस्तान और बांग्लादेश बॉर्डर पर कई चुनौतियां भी हैं. पहली चुनौती तो यही है कि इन दोनों देशों की सीमा से होने वाली घुसपैठ पर कैसे नियंत्रण होगा.
राकेश अस्थाना के बारे में
• राकेश अस्थाना को तेज तर्रार अफसर माना जाता है. राकेश अस्थाना ने नेतरहाट स्कूल से स्कूलिंग और संत जेवियर्स कॉलेज से 1978 में स्नातक की पढ़ाई की.
• कॉलेज में पढ़ाने के दौरान ही यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करते रहे और पहले ही प्रयास में वर्ष 1984 में गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी बन गए.
• वे गुजरात कैडर के 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं. उनके पास स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी है.
• वर्तमान में वे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के विशेष महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं.
• राकेश अस्थाना का जन्म वर्ष 1961 में रांची शहर में हुआ था. वे नौकरी के बाद भी लगातार रांची आते रहे हैं.
• राकेश अस्थाना को साल 2001 में ‘सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक’ और साल 2009 में ‘विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक’ से भी सम्मानित किया जा चुका है.
• उन्होंने उच्च शिक्षा दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पूरी की है. उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज में इतिहास भी पढ़ाया है.
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बारे में
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भारत की सीमा रक्षा सेना है. यह एक अर्धसैनिक बल है, जिसकी स्थापना वर्ष साल 1965 में शांति के समय के दौरान भारत सीमाओं की रक्षा और अन्तर्राष्ट्रीय अपराध को रोकने हेतु की गई थी.
यह बल केंद्र सरकार की ‘गृह मंत्रालय’ के नियंत्रण के अंतर्गत आता है. बांग्लादेश की आज़ादी में ‘सीमा सुरक्षा बल’ की अहम भूमिका अविस्मरणीय है. इसके दो लाख पैंसठ हजार से भी अधिक बहादुर और समर्पित जवान भारत-पाकिस्तान व भारत-बांग्लादेश से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा में कार्यरत हैं
सुप्रीम कोर्ट ने PM CARES फंड को NDRF में ट्रांसफर करने की मांग खारिज की
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, PM CARES एक अलग फंड है जिसे पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के तौर पर स्थापित किया गया है और वहां से NDRF को फंड ट्रांसफर करने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किए जा सकते हैं.
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 18 अगस्त 2020 को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF)में PM CARES कोष में किए गए योगदान के हस्तांतरण के लिए निर्देश जारी करने से इंकार कर दिया है. यह फैसला एक NGO द्वारा फंड ट्रांसफर करने की मांग करने वाली याचिका के जवाब में आया है.
जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, अशोक भूषण और एम.आर. शाह की खंडपीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि PM CARES फंड में किए गए योगदान एक धर्मार्थ ट्रस्ट के फंड थे, हालांकि, विभिन्न व्यक्तियों या संगठनों द्वारा NDRF को दिए गए योगदान पर कोई वैधानिक निषेध नहीं था.
NDRF एक वैधानिक निधि है जिसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 46 के तहत बनाया गया है. इस याचिका का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी नई राष्ट्रीय आपदा राहत योजना की कोई आवश्यकता नहीं है.
NDRF में PM CARES में दिए गए योगदान के हस्तांतरण से इंकार
NDRF को PM CARES फंड में दिए गए योगदान के हस्तांतरण से इंकार करने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए, अदालत ने यह कहा है कि, सभी व्यक्ति NDRF में योगदान करने के लिए स्वतंत्र हैं. हालांकि, PM CARES एक अलग कोष है जिसे सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तौर पर स्थापित किया गया है और वहां से धनराशि NDRF को हस्तांतरित करने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है.
याचिकाकर्ता के कोविड -19 के लिए एक राष्ट्रीय योजना स्थापित करने के अनुरोध पर, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि, केंद्र सरकार द्वारा तैयार योजना इस महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त है.
इस सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से केंद्र ने PM CARES फंड का बचाव करते हुए यह कहा कि, इसका उद्देश्य NDRF को दरकिनार करना नहीं था.
PM CARES फंड के बारे में:
केंद्र सरकार ने 28 मार्च, 2020 को सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तौर पर PM CARES फंड की स्थापना की थी. इस फंड की स्थापना कोविड -19 जैसी किसी भी प्रकार की आपादा या आपात स्थिति से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ की गई थी.
सरकार ने 8 जुलाई, 2020 को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने हलफनामे में इस तर्क का उल्लेख करते हुए कहा था कि PM CARES एक ऐसा फंड है जो राहत कार्य को करने के लिए स्थापित किया गया है इसके साथ ही कई अन्य फंड भी हैं, जो इसी तरह की तर्ज पर स्थापित किये गये हैं.
पृष्ठभूमि:
इस फंड के हस्तांतरण का निर्देश जारी करने से इंकार करने का निर्णय एक NGO – सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) द्वारा किए गए दावे के कारण आया है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि, PM CARES फंड को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कानूनी जनादेश का उल्लंघन करते हुए स्थापित किया गया है. उक्त अधिनियम के अनुसार, किसी भी संस्था या व्यक्ति द्वारा आपदा प्रबंधन के लिए दिए गए अनुदान को अनिवार्य रूप से NDRF में जमा किया जाना चाहिए