Current Affairs 18 Sept 2020

टाटा समूह ने लार्सन एंड टुब्रो को हराकर जीता नया संसद भवन बनाने का ठेका

टाटा समूह ने लार्सन एंड टुब्रो को हराकर 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाने के साथ ही भारत के नए संसद भवन के निर्माण का ठेका जीत लिया है.

टाटा समूह ने लार्सन एंड टुब्रो को हराकर 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाने के साथ ही भारत के नए संसद भवन के निर्माण का ठेका जीत लिया है.

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने 16 सितंबर, 2020 को नए संसद भवन के निर्माण के लिए वित्तीय बोलियां खोली थीं. नई संसद का भवन निर्माण केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना का एक हिस्सा है.

टाटा प्रोजेक्ट्स ने सबसे कम बोली 861.90 करोड़ रुपये लगाई थी जबकि लार्सन एंड टुब्रो की बोली 865 करोड़ रुपये थी

मुख्य विशेषताएं

•    टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने नया संसद भवन बनाने का ठेका जीत लिया है. टाटा समूह की एक कंपनी ने इस परियोजना को 861.9 करोड़ रुपये में संचालित करने की पेशकश की थी, जो L&T की 865 करोड़ रुपये की बोली से केवल 3.1 करोड़ रुपये कम है.

•    कुल मिलाकर, सात कंपनियों ने इस नए भवन के निर्माण के लिए पूर्व-योग्यता तकनीकी बोली लगाई थी.

•    अगस्त में बोलियां खोली गईं और तीन निर्माण फर्मों- टाटा प्रोजेक्ट्स, लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड और शापूरजी पलोनजी को शॉर्टलिस्ट किया गया. जबकि टाटा प्रोजेक्ट्स और L&T ने वित्तीय बोली प्रक्रिया में भाग लिया, शापूरजी पलोनजी ने नहीं लिया.

•    भारत सरकार द्वारा जल्द ही टाटा प्रोजेक्ट्स को यह ठेका देने की संभावना है और वह उत्सुक है कि यह निर्माण कार्य संसद के मानसून सत्र के बाद शुरू हो. यह सत्र 1 अक्टूबर को समाप्त होगा.

•    नए संसद भवन के लिए यह ठेका मार्च में प्रदान किया गया था, लेकिन कोविड -19 और लॉकडाउन के कारण इसे विलंबित किया गया था.

•    यह नए संसद भवन का निर्माण कार्य प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का एक हिस्सा है.

बिहार में कोसी रेल महासेतु समेत 12 परियोजनाओं का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक और शानदार कोसी रेल महासेतु को राष्ट्र को समर्पित किया और इस अवसर पर बिहार के रेल यात्रियों की सुविधाओं के लिए 12 रेल परियोजनाओं का शुभारंभ भी किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 सितम्बर 2020 को बिहार में कोसी रेल महासेतु के साथ यात्री सुविधाओं से संबंधित रेल की 12 परियोजनाओं का उद्घाटन किया. प्रधानमंत्री मोदी ने जिन 12 रेल परियोजनाओं का उद्घाटन किया जिसमें किउल नदी पर एक रेल सेतु, दो नई रेल लाइनें, पांच विद्युतीकरण से संबंधित, एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव शेड और बाढ़ और बख्तियारपुर में तीसरी लाइन परियोजना भी शामिल है.

यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित किया गया. प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ दिनों में बिहार में दर्जन भर से अधिक परियोजनाओं का सौगात दिया है. कोसी-मिथिलांचल को जोड़ने वाले इस महासेतु का लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. करीब 84 साल के बाद कोसी और मिथिला के लोगों का सपना साकार हुआ. उन्होंने उस सेतु का उद्घाटन किया जिसका शिलान्यास 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने किया था.

2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने किया था शिलान्यास

सरायगढ़-निर्मली के बीच कोसी नदी पर रेल महासेतु का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था. इसे साल 2003-04 में 323.41 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत किया गया था. लेकिन समय गुजरने के साथ ही इस परियोजना पर 516 करोड़ रुपये खर्च हुए.

 

दूरी घटकर रह गई है 22 किमी

सरायगढ़-निर्मली के बीच पहले जाने के लिए सहरसा-मानसी-खगडिया- समस्तीपुर-दरभंगा होते हुए निर्मली जाना पड़ता था. जिसकी दूरी 298 किमी होती थी. इस रेल महासेतु के निर्माण होने से इसकी दूरी मात्र 22 किमी में सिमट गई है. प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन के बाद सहरसा से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन ही सुपौल-सरायगढ़ होते हुए आसनपुर कुपहा तक जाएगी और फिर वहीं से सरायगढ़ वापस होते हुए राघोपुर तक ट्रेन जाएगी.

इस ट्रेन के चलने से सुपौल-अररिया और सहरसा जिलों में रहने वालों को सीधा फायदा होगा. इस क्षेत्र के लोगों के लिए दिल्ली, मुंबई और कोलकाता तक जाने के लिए कनेक्टिंग ट्रेन लेना भी आसान हो जाएगा. इससे पहले पीएम मोदी ने बिहार में तीन पेट्रोलियम परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया था.

कोसी रेल महासेतु का महत्व

रेल महासेतु के शुरू होने से आसपास के क्षेत्र के लोगों का उत्तरपूर्वी क्षेत्रों के साथ संपर्क काफी आसान हो जाएगा. बता दें कि 1887 में निरमाली और भापतियही (सरायगढ़) के बीच मीटर गेज का निर्माण किया गया था. भारी बाढ़ और 1934 में आए विनाशकारी भूंकप से यह रेल लिंक बह गया. सरकार ने साल 2003-04 को कोसी मेगा ब्रिज प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी थी. इस पुल से नेपाल सीमा पर भारत की स्थिति मजबूत होगी.

विश्व बैंक के ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स में भारत को मिला 116वां स्थान

इस सूचकांक से विभिन्न देशों में मानव पूंजी से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी मिलती है. यह सूचकांक देशों में मानव पूंजी के प्रमुख घटकों का मूल्यांकन करता है.

विश्व बैंक के ताजा वार्षिक ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स (मानव पूंजी सूचकांक) में भारत को 116वां स्थान मिला है. इस सूचकांक से विभिन्न देशों में मानव पूंजी से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी मिलती है. यह सूचकांक देशों में मानव पूंजी के प्रमुख घटकों का मूल्यांकन करता है.

विश्व बैंक की तरफ से 16 सितम्बर 2020 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के मुकाबले भारत के स्कोर में सुधार देखने को मिला है. साल 2018 में भारत का स्कोर 0.44 रहा था, जो हालिया रिपोर्ट में बढ़कर 0.49 हो गया है. पिछले साल भारत इस सूचकांक में 115वें स्थान पर था.

मानव पूंजी सूचकांक: एक नजर में

•    मानव पूंजी सूचकांक 2020 में 174 देशों के स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी आंकड़ों को शामिल किया गया. ये आंकड़े मार्च 2020 तक के हैं, जिसके बाद दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप तेजी से बढ़ा.

•    विश्लेषण से पता चलता है कि महामारी से पहले अधिकांश देशों ने बच्चों की मानव पूंजी के निर्माण में लगातार प्रगति की और खासतौर से निम्न आय वाले देशों में ऐसा देखने को मिला.

•    हालांकि, इस प्रगति के बावजूद एक औसत देश में शिक्षा और स्वास्थ्य मानकों के सापेक्ष कोई बच्चा अपनी संभावित मानव विकास क्षमता का केवल 56 प्रतिशत ही हासिल करने की उम्मीद कर सकता है.

•    विश्व बैंक की इस रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न देशों द्वारा की गई प्रगति के बावजूद महामारी से पहले भी किसी टिपिकल देश में जन्म लेने वाले बच्चे के अपनी क्षमता के करीब 56 प्रतिशत की मानव पूंजी ही हासिल कर पाने की संभावना होती है.

विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष ने क्या कहा?

विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा कि इस महामारी की वजह से ह्यूमन कैपिटल के निर्माण में हुई कई दशकों की प्रगति खतरे में पड़ गई है. उन्होंने कहा कि महिलाओं और वंचित परिवारों पर महामारी का सबसे अधिक आर्थिक प्रभाव देखने को मिला है. इससे कई लोगों को सामने खाद्य असुरक्षा और गरीबी का जोखिम पैदा हो गया है.

भारत ने पिछले साल उठाए थे महत्वपूर्ण सवाल

रिपोर्ट के अनुसार लोगों की रक्षा करना और उसके लिए निवेश करना महत्वपूर्ण है क्योंकि देश एक टिकाऊ और समावेशी विकास की नींव रख रहे हैं. पिछले साल भारत ने मानव पूंजी सूचकांक को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे, जिसमें 157 देशों में भारत को 115वां स्थान दिया गया था

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