Nobel Prize 2020: दो महिला वैज्ञानिकों को मिला रसायन का नोबेल पुरस्कार
यह पहला मौका है जब रसायन विज्ञान के क्षेत्र में दो महिलाओं को एक साथ इस पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है.
रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) के क्षेत्र में वर्ष 2020 के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा 07 अक्टूबर 2020 को कर दी गई. ‘जीनोम एडिटिंग’ की एक पद्धति विकसित करने हेतु इस वर्ष (2020) का पुरस्कार फ्रांस की विज्ञानी इमैनुएल शारपेंतिए और अमेरिका की जेनिफर डाउडना को दिया गया है.
दोनों महिला विज्ञानियों ने महत्वपूर्ण टूल ‘सीआरआइएसपीआर-सीएएस9’ को विकसित किया है. इसे जेनेटिक सीजर्स नाम दिया गया है. इससे पहले अब तक पांच महिलाओं को केमिस्ट्री के लिए नोबेल पुरस्कार मिल चुका है. मैरी क्यूरी एकमात्र ऐसी महिला हैं जिन्हें फिजिक्स एवं केमिस्ट्री दोनों के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है.
पहला मौका
यह पहला मौका है जब रसायन विज्ञान के क्षेत्र में दो महिलाओं को एक साथ इस पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है. अब तक 111 बार रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया है.
इस खोज का फायदा
इमैनुएल शारपेंतिए और जेनिफर डाउडना जेनेटिक सीजर की महत्वपूर्ण खोज के लिए दुनिया के इस सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाएगा. इस खोज से जानवरों, पौधों, माइक्रोऑर्गेनिज्म के डीएनए (DNA) में बदलाव कर गंभीर रोगों का इलाज संभव हो सकेगा.
पांच महिलाओं को केमिस्ट्री में अवॉर्ड मिल चुका है
अब तक पांच महिलाओं को केमिस्ट्री में अवॉर्ड मिल चुका है. इसके साथ ही सबसे अधिक उम्र सबसे ज्यादा में रसायन का नोबेल पाने वाले वैज्ञानिक जॉन गुडइनफ थे. इन्हें जब यह पुरस्कार दिया गया, तब उनकी उम्र 97 साल थी.
जेनिफर डाउडना: जेनिफर डाउडना का जन्म साल 1964 में वाशिंगटन में हुआ था. वह यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कली में प्रोफेसर हैं.
इमैनुएल शारपेंतिए: वहीं, इमैनुएल शारपेंतिए का जन्म साल 1968 में फ्रांस के जुविसी-सर-ओर्ग में हुआ था. वह जर्मनी के बर्लिन में मैक्स प्लांक यूनिट फॉर दि साइंस ऑफ पैथोजेन्स की निदेशक हैं.
नोबेल पुरस्कार के बारे में
यह पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस की ओर से प्रदान किया जाता है. नोबेल फाउंडेशन की स्थापना 29 जून 1901 में हुई थी. इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य नोबेल प्राइज का आर्थिक संचालन करना है. इस फाउंडेशन में कुल 5 लोग होते हैं. स्वीडन का किंग ऑफ काउंसिल इस फाउंडेशन के मुखिया का चयन करता है. हर वर्ष अक्टूबर में नोबेल पुरस्कार की घोषणा होती है.
Nobel Prize 2020: ब्लैकहोल की खोज और रहस्य खोलने वाले तीन वैज्ञानिकों को मिला भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
रोजर पेनरोस ने पता लगाया है कि ब्लैक होल के निर्माण को सापेक्षता के सिद्धांत पर समझा जा सकता है. रोजर पेनरोस का जन्म 1931 में ब्रिटेन में हुआ था
स्वीडन की रॉयल विज्ञान अकादमी ने इस साल (2020) के लिए भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. इस साल भौतिकी का नोबेल पुरस्कार रोजर पेनरोस, राइनहार्ड गेनजेल और आंद्रिया गेज को दिया जाएगा. तीनों वैज्ञानिकों की खोज अंतरिक्ष में मौजूद ब्लैक होल से जुड़ी है.
पुरस्कार राशि में से आधा हिस्सा पेनरोस को दिया जाएगा और बाकी आधे में से आधी-आधी राशि राइनहार्ड और आंद्रिया गेज को मिलेगी. इस बार यह प्रतिष्ठित पुरस्कार रोजर पेनरोस को यह पुरस्कार इस खोज के लिए दिया गया है कि ब्लैक होल का गठन सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत का एक मजबूत पूर्वानुमान है.
रोजर पेनरोस: रोजर पेनरोस ने पता लगाया है कि ब्लैक होल के निर्माण को सापेक्षता के सिद्धांत पर समझा जा सकता है. रोजर पेनरोस का जन्म 1931 में ब्रिटेन में हुआ था. उन्होंने जनवरी 1965 में साबित किया कि ब्लैक होल का निर्माण संभव है. उन्होंने बताया कि ब्लैक होल में सिंगुलैरिटी (अंतरिक्ष व समय का ऐसा बिंदु जहां कोई चीज अनंत हासिल कर लेती है) छिपी होती है. यहां प्रकृति के सभी नियम खत्म हो जाते हैं.
राइनहार्ड गेंजल और आंद्रिया गेज: राइनहार्ड गेंजल और आंद्रिया गेज को हमारी आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद एक अदृश्य लेकिन बेहद शक्तिशाली ऑब्जेक्ट यानी ब्लैकहोल की खोज के लिए सम्मानित किया जाएगा. राइनहार्ड गेंजल जर्मनी में पैदा हुए और माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट के निदेशक हैं. आंद्रिया गेज अमेरिका से हैं और लॉस एंजेल्स के कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं.
इन दोनों वैज्ञानिकों ने खगोलविज्ञानियों की एक-एक टीम का नेतृत्व कर 1990 से अंतरिक्ष के ‘सैगेटेरियस-ए’ नामक स्थान की पड़ताल करवाई। यह स्थान हमारी आकाश गंगा के केंद्र में है। उन्होंने यहां मौजूद सबसे चमकीले तारों के परिक्रमा पथ का सटीक अध्ययन किया. आधुनिक दूरबीनों और तकनीकों की मदद से उन्होंने साक्ष्य दिए कि यह वस्तु आकाश गंगा के केंद्र में मौजूद ब्लैक होल है.
आंद्रिया गेज चौथी महिला
आंद्रिया गेज ने भौतिकी का नोबल पाने के साथ इतिहास में ऐसा करने वाली चौथी महिला होने का मुकाम भी पाया. इससे पहले यह सम्मान साल 1903 में मैडम क्यूरी, साल 1963 में मारिया जियोपर्ट मायर और साल 2018 में डोना स्ट्रिकलैंड को मिला था.
नोबेल पुरस्कार के बारे में
यह पुरस्कार डायनामाइट का आविष्कार करने वाले स्वीडन के महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में शुरू किया गया था. पुरस्कार के विजेता को प्रशस्ति पत्र के साथ 10 लाख डॉलर की राशि प्रदान की जाती है. प्रत्येक वर्ष विज्ञान, साहित्य के क्षेत्र में महान अविष्कार करने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है.
यह पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस की ओर से प्रदान किया जाता है. नोबेल फाउंडेशन की स्थापना 29 जून 1901 में हुई थी. इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य नोबेल प्राइज का आर्थिक संचालन करना है. इस फाउंडेशन में कुल 5 लोग होते हैं. स्वीडन का किंग ऑफ काउंसिल इस फाउंडेशन के मुखिया का चयन करता है. हर वर्ष अक्टूबर में नोबेल पुरस्कार की घोषणा होती है
छत्तीसगढ़ सरकार देगी केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती
हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के विरोध प्रदर्शनों को बढ़ावा देने वाले केंद्र के कृषि कानूनों को कानूनी रूप से चुनौती देने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य होगा.
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने केंद्र के कृषि सुधार कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर कानूनी तौर पर चुनौती दी है कि, ये कानून राज्य सूची के विषय का उल्लंघन करते हैं. यह विपक्षी दल द्वारा शासित राज्य इस मामले को अदालत में ले जाने वाला पहला राज्य बन जाएगा.
यह राज्य इस आधार पर अपनी अपील प्रस्तुत करेगा कि, संविधान में राज्य के एक विषय कृषि पर केंद्र ने कानून बनाए हैं.
मुख्य विशेषताएं
छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा देने वाले केंद्र के कृषि कानूनों को कानूनी रूप से चुनौती देने वाला पहला राज्य होगा.
यह राज्य सुप्रीम कोर्ट में यह अपील करने की योजना बना रहा है कि, व्यापार कृषि उपज से संबंधित है और केंद्र ने व्यावहारिक रूप से राज्य के विपणन तंत्र और जिस तरह से उनकी उपज बेची जा रही है, उसे बेकार कर दिया है. जिस तरह से केंद्र ने विधेयकों को आगे बढ़ाने के लिए एक बैकचैनल का इस्तेमाल किया है, उसके खिलाफ भी यह राज्य अपील करने जा रहा है.
इसके अलावा, यह राज्य केंद्रीय कृषि कानूनों के प्रभाव को नकारने के लिए अलग-अलग अधिसूचनाएं और कानून भी लाएगा. इन अलग-अलग कानूनों के तहत प्रत्येक व्यापारी के लिए यह घोषित करना आवश्यक होगा कि, वह किस फसल की कितनी मात्रा में स्टॉकिंग कर रहा है और उसने इस फसल का कितना कारोबार किया गया है. इससे जमाखोरी पर अंकुश लगेगा.
राज्य ने निजी मंडियों में निजी व्यक्तियों को खरीदने की अनुमति देने के लिए केंद्र के कदम को नकारने के लिए अपना नया कानून लाने की भी योजना बनाई है, जो सबसे बड़ा हस्तक्षेप होगा. पंजाब और हरियाणा के विपरीत, छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर सहकारी समितियों के माध्यम से कृषि उपज की खरीद होती है, जिनकी मंडी व्यवस्था मजबूत है. इन सहकारी समितियों का प्रबंधन छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (MARKFED) द्वारा किया जाता है.
इसलिए, राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए एक अलग कानून लाने की योजना बना रहा है कि, कृषि बाजार खोलने के लिए किसी निजी कंपनी या व्यक्ति को कोई जमीन न दी जाए. इससे यह सुनिश्चित होगा कि राज्य में कोई निजी मंडियां न हों.
इस राज्य का कृषि विभाग और कानूनी विशेषज्ञ किसी भी कमी का पता लगाने के लिए इन तीनों ही कृषि कानूनों का अध्ययन कर रहे हैं. ऐसी किसी भी कमी को एक अलग कानून या अधिसूचना के माध्यम से निपटाया जायेगा. यह राज्य इन विशेष कानूनों को पारित करने के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र भी बुलाएगा.
पृष्ठ-भूमि
छत्तीसगढ़ के सर्वोच्च न्यायालय में जाने और केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपील करने का यह निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस शासित राज्यों को केंद्र के कृषि कानून को नकारने के लिए एक कानून पारित करने का निर्देश जारी करने के बाद आया है.
इससे पहले, कांग्रेस सांसद टी.एन. प्रतापन ने मूल्य आश्वासन और फार्म सेवा अधिनियम, 2020 के तहत किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
भारतीय वायु सेना ने 8 अक्टूबर को 88वां वायु सेना दिवस मनाया
यह दिवस आधिकारिक रूप से एवं सार्वजनिक रूप से, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी संगठन में भारतीय वायु सेना के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता हैं
भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने 08 अक्टूबर 2020 को नई दिल्ली में 88वां वायु सेना दिवस मनाया. इस मौके पर आकाश मिसाइल, ध्रुव हेलिकॉप्टर, मिराज-2000, जगुआर, तेजस, सुखोई-30 एमकेआई, रोहिणी रडार सिस्टम, अपाचे हेलिकॉप्टर और सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान शामिल हुए.
इस दौरान राफेल की उड़ान ने लोगों को रोमांचित किया. एयर शो के दौरान सारंग हेलिकॉप्टर ने डॉल्फिन लीप का प्रदर्शन किया. इससे पहले राफेल और तेजस ने उड़ान भरी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 88वें भारतीय वायु सेना (आईएएफ) दिवस के अवसर पर देश को शुभकामनाएंदीं और साथ ही भारतीय वायु सेना के जवानों की भी सराहना कीं.
इस कार्यक्रम में वायुसेना के नए एयरचीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने भी पहली बार वायुसेनाध्यक्ष के तौर पर परेड की सलामी ली. आरकेएस भदौरिया ने बालाकोट एयरस्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवादी हमलों से निपटने के सरकार के तरीके में बहुत बड़ा बदलाव आया है.
उद्देश्य
यह दिवस आधिकारिक रूप से एवं सार्वजनिक रूप से, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी संगठन में भारतीय वायु सेना के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता हैं.
भारतीय वायु सेना दिवस
भारतीय वायुसेना की स्थापना 08 अक्टूबर 1932 को हुई थी. इसी मौके को याद करते हुए हर साल इस दिन को भारतीय वायु सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है. वायु सेना दिवस को आधिकारिक तौर पर सर्वप्रथम 08 अक्टूबर 1932 को भारतीय साम्राज्य की सहायक वायु सेना के रूप में मनाया गया था. ऑपरेशन राहत और ऑपरेशन मेघदूत जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण अभियानों में तैनात विमान और हेलीकाप्टर भी प्रदर्शित किये जाते हैं. इसके साथ-साथ, विभिन्न अभियानों के लिए तैयार किये गए नए विमान भी प्रदर्शित किए जाते हैं, साथ ही इसकी विशेषताओं और इसके उद्देश्यों को भी समझाया जाता है.
भारतीय वायु सेना में लगभग 1,70,000 कर्मियों की ताकत है और 1,400 से अधिक विमान हैं और इसे दुनिया के अग्रणी वायु सेना में से एक माना जाता है. भारतीय क्षेत्रों को सभी जोखिमों से बचाना और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में सहायता प्रदान करना इसकी जिम्मेदारी है.
भारतीय वायुसेना के बारे में
भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) भारतीय सशस्त्र सेना का एक अंग है जो वायु युद्ध, वायु सुरक्षा, एवं वायु चौकसी का महत्वपूर्ण काम देश के लिए करती है. आजादी (1950 में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) से पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था और 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आजादी (1950 में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) के पश्च्यात इसमें से “रॉयल” शब्द हटाकर सिर्फ “इंडियन एयरफोर्स” कर दिया गया.
भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायु सेना के कमांडर इन चीफ के रूप में कार्य करते है. वायु सेनाध्यक्ष, एयर चीफ मार्शल, एक चार सितारा कमांडर है और वायु सेना का नेतृत्व करते है. भारतीय वायुसेना का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बडी वायुसेना होने का दर्जा दिलाती है.