ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत 48वें स्थान पर
मध्य और दक्षिण एशिया में भारत इनोवेशन के मामले में पहले स्थान पर है. विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) हर साल ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग जारी करता है.
ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) यानी वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत पहली बार शीर्ष 50 देशों में शामिल हुआ है. ग्लोबल इनोशन इंडेक्स 2020 में भारत 4 पायदान ऊपर चढ़कर 48वें स्थान पर पहुंच गया है. इस सूचकांक में पिछले साल भारत का स्थान 52वां था. भारत अब शीर्ष 50 उन्नतिशील देशों में शामिल है.
मध्य और दक्षिण एशिया में भारत इनोवेशन के मामले में पहले स्थान पर है. विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) हर साल ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग जारी करता है. इनोवेशन इंडेक्स में स्विट्जरलैंड ने अपनी टॉप रैंकिंग बरकरार रखी है. नवोन्मेष (इनोवेशन) के मामले में देश की स्थिति पिछले कुछ साल से लगातार बेहतर हो रही है.
सूची में टॉप-10 देश
इनोवेशन इंडेक्स सूची में स्विट्जरलैंड ने अपनी शीर्ष रैंकिंग बरकरार रखी है. स्वीडन दूसरे, अमेरिका तीसरे, ब्रिटेन चौथे, नीदरलैंड्स 5वें, डेनमार्क 6वें, फिनलैंड 7वें, सिंगापुर 8वें स्थान, जर्मनी 9वें और रिपब्लिक ऑफ कोरिया 10वें स्थान पर है. सूची में चीन 14वें स्थान पर है.
ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत: एक नजर में
मध्य और दक्षिण एशिया में भारत इनोवेशन के मामले में पहले स्थान पर है. भारत साल 2015 में ग्लोबल इंडेक्स में 81वें स्थान पर था. भारत साल 2016 में 66वें, साल 2017 में 60वें, साल 2018 में 57वें और साल 2019 में 52वें स्थान पर था. भारत ने पहली बार इस साल टॉप-50 में जगह बनाई है. भारत इस साल 48वें स्थान पर है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जीआईआई के सभी संकेतकों में अपनी स्थिति सुधारी है. सूची के अनुसार आइसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी), सेवाओं के निर्यात, सरकारी ऑनलाइन सेवाओं और विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में स्नातकों जैसे नवाचार के सूचकांक में भारत शीर्ष 15 देशों में शामिल है.
131 देशों का विश्लेषण
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) की यह सूची 131 देशों और अर्थव्यवस्थाओं के नवोन्मेष प्रदर्शन पर आधारित है. भारत उच्च नवप्रवर्तन गुणवत्ता के साथ निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था है. इन मानकों में संस्थानों के साथ ही साथ बुनियादी ढांचे, बाजार कृत्रिमता और व्यवसाय कृत्रिमता, ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उत्पादन और रचनात्मक उत्पादन शामिल हैं.
क्या हैं इसके मायने
बता दें विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) हर साल ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग जारी करता है. ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स दुनिया भर के 131 देशों और अर्थव्यवस्थाओं के इनोवेशन प्रदर्शन के बारे में विस्तृत मैट्रिक्स प्रदान करता है. इसके 80 संकेतक इनोवेशन की एक व्यापक दृष्टि का पता लगाते हैं, जिसमें राजनीतिक वातावरण, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और बिजनेस सोफिस्टिकेशन शामिल हैं.
असम विधानसभा ने राज्य के धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए विधेयक पारित किया
असम के धरोहर स्थलों की रक्षा के लिए विधानसभा विधेयक: ऐसे मूर्त धरोहर (विरासत) स्थलों की रक्षा, संरक्षण और पुनर्स्थापन करने के लिए असम की राज्य विधानसभा ने विधेयक पारित किया है, जो वर्तमान में किसी भी राष्ट्रीय या राज्य कानून के तहत शामिल नहीं हैं.
असम के धरोहर स्थलों की रक्षा के लिए विधानसभा विधेयक: एक नवीनतम जानकारी के अनुसार, असम की विधानसभा ने अपने राज्य के ऐसे विभिन्न धरोहर स्थलों की रक्षा के लिए एक विधेयक पारित किया है. यह असम धरोहर (मूर्त) रक्षण, संरक्षण, परिरक्षण और रखरखाव विधेयक, 2020 असम राज्य विधानसभा द्वारा ऐसे मूर्त धरोहर स्थलों की रक्षा, संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए पारित किया गया था, जो वर्तमान में किसी भी राष्ट्रीय या राज्य कानून के तहत शामिल नहीं हैं. इस 31 अगस्त 2020 से शुरू होने वाले 4-दिवसीय विधानसभा सत्र में यह विधेयक पारित किया गया था. इस विधेयक के पारित होने के बाद, राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम समझौते के खंड 6 को लागू करने की दिशा में इसे एक ’ऐतिहासिक’ कदम बताया है. असम राज्य सांस्कृतिक मामलों (पुरातत्व) के मंत्री केशब महंत के मार्गदर्शन में पुरातत्व निदेशालय द्वारा इस बिल का मसौदा तैयार किया गया है.
असम समझौते का खंड 6 क्या है?
असम समझौते के खंड 6 के अनुसार, असमिया लोगों की संस्कृति, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और संरक्षण के लिए राज्य सरकार को ऐसे सभी संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार प्रदान किया जाएगा, जो उचित हों.
इस नए बिल के तहत कवर की जाने वाली मूर्त धरोहर क्या है?
इस समझौते के अनुरूप, हाल ही में पारित यह विधेयक राज्य की मूर्त विरासत की रक्षा, संरक्षण और जीर्णोद्धार करेगा. इसमें विभिन्न संग्रहालय वस्तुओं जैसे सिक्के, मूर्तियां, पांडुलिपियां, एपिग्राफ या कला और शिल्प कौशल के अन्य कार्य और स्वदेशी लोगों की सभी सांस्कृतिक कलाकृतियों को शामिल किया गया है. इसके अलावा, विरासत स्थल जैसेकि मठ, स्तूप, नामघर, मस्जिद, दरगाह, और चर्चों के अलावा पारंपरिक वास्तुकला वाले सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थानों और बस्ती संरचनाओं के साथ-साथ राज्य में बने विभिन्न स्मारकों और उनके परिसरों को भी इस नए कानून के तहत शामिल किया जाएगा.
इस विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, ऐसी सभी धरोहरों को मूर्त विरासत के तहत कवर किया गया है जो कम से कम 75 वर्षों से अस्तित्व में हैं और जो असम प्राचीन स्मारक और रिकॉर्ड अधिनियम, 1959 के तहत कवर नहीं हैं, उन्हें इस नए कानून के तहत संरक्षित किया जाएगा.
भारत और रूस ने फाइनल की AK-203 की डील, अब भारत में इसे तैयार किया जा सकेगा
एके-203 राइफल, एके-47 राइफल का नवीनतम और सर्वाधिक उन्नत प्रारूप है. यह अब इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) असॉल्ट राइफल की जगह लेगा.
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के तीन दिवसीय मॉस्को दौरे के दौरान भारत और रूस ने अत्याधुनिक एके-203 राइफल भारत में बनाने हेतु एक बड़े समझौते को अंतिम रूप दे दिया है. भारत और रूस के बीच एके-203 राइफल्स को लेकर डील पक्की हो गई है. अब इस राइफल को भारत में भी बड़े पैमाने पर तैयार किया जा सकेगा.
एके-203 राइफल, एके-47 राइफल का नवीनतम और सर्वाधिक उन्नत प्रारूप है. यह अब इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) असॉल्ट राइफल की जगह लेगा. इस सौदे पर एससीओ (शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन) समिट के दौरान सहमति बनी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समिट में हिस्सा लेने के रूस में ही मौजूद हैं.
मुख्य बिंदु
• एके-203 राइफल, एके-47 राइफल का नवीनतम और सर्वाधिक उन्नत प्रारूप है. यह ‘इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम’ (इनसास) 5.56 गुणा 45 मिमी राइफल की जगह लेगा.
• रूस की सरकारी समाचार एजेंसी स्पुतनिक के अनुसार भारतीय थल सेना को लगभग 7,70,000 एके-203 राइफलों की जरूरत है. इनमें से एक लाख का आयात किया जाएगा और शेष का विनिíमण भारत में किया जाएगा.
• इन रायफलों को भारत में संयुक्त उद्यम भारत-रूस राइफल प्राइवेट लिमिटेड (आइआरआरपीएल) के तहत बनाया जाएगा. इसकी स्थापना आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) और कलाशनीकोव कंसर्न तथा रोसोबोरेनेक्सपोर्ट के बीच हुई है.
• ओएफबी की आइआरआरल में 50.5 प्रतिशत अंशधारिता होगी, जबकि कलाशनीकोव की 42 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. रूस की सरकारी निर्यात एजेंसी रोसोबोरेनेक्सपोर्ट की शेष 7.5 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.
• एके-203 राइफल को ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों ही मोड पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी मारक क्षमता 400 मीटर है. सुरक्षाबलों को दी जाने वाली इस राइफल को पूरी तरह से लोड किए जाने के बाद कुल वजन 4 किलोग्राम के आसपास होगा.
कोरवा आयुध फैक्टरी में उत्पादन
उत्तर प्रदेश में कोरवा आयुध फैक्टरी में 7.62 गुणा 39 मिमी के इस रूसी हथियार का उत्पादन किया जाएगा. इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में किया था. प्रति राइफल करीब 1,100 डॉलर की लागत आने की उम्मीद है. इसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण लागत और विनिर्माण इकाई की स्थापना भी शामिल है.
इनसास राइफल का इस्तेमाल
इनसास राइफलों का इस्तेमाल साल 1996 से किया जा रहा है. इसमें हिमालय की ऊंचाई पर जैमिंग और मैगजीन के क्रैक जैसी समस्याएं पैदा होने लगी हैं. लेकिन अब खास बात यह है कि पुराने मॉडल से उलट यह राइफल हिमालय जैसे ऊंचे इलाकों के लिए बेहतर होती है. आपको बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए 02 सितम्बर 2020 को रूस की राजधानी मास्को पहुंचे हैं.
रूस सरकार का बड़ा फैसला, पाकिस्तान को ‘नो आर्म्स सप्लाई’ नीति पर कायम
रूस ने पाकिस्तान के साथ No Arms Supply की पॉलिसी जारी रखेगा. यानी पाकिस्तान को किसी तरह के बड़े हथियार सप्लाई नहीं किए जाएंगे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए 02 सितम्बर 2020 को रूस की राजधानी मास्को पहुंचे हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के रूस दौरे से पाकिस्तान को बहुत बड़ा झटका लगा है. रूस ने एक बार फिर से यह दोहराया है कि वो पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति नहीं करेगा.
रूस ने यह आश्वासन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ 03 सितम्बर 2020 को बैठक के दौरान दिया. राजनाथ सिंह के साथ बैठक में रूस के रक्षामंत्री जनरल सर्गेई शोइगू ने कहा कि पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति पर रूसी प्रतिबद्धता भारतीय अनुरोध का पालन करती है.
रूस ‘नो आर्म्स सप्लाई‘ नीति पर कायम
रूस ने पाकिस्तान के साथ No Arms Supply की पॉलिसी जारी रखेगा. यानी पाकिस्तान को किसी तरह के बड़े हथियार सप्लाई नहीं किए जाएंगे. इसके अतिरिक्त भारत के सुरक्षा से जुड़े मामलों पर रूस ने पूरे साथ का भरोसा भी दिया है. इस बैठक में रूस ने भारत के मेक इन इंडिया प्रोग्राम का समर्थन किया और अपनी ओर से योगदान की बात कही.
भारत को सबसे ज्यादा हथियारों की आपूर्ति करने वाला देश
रूस भारत को सबसे ज्यादा हथियारों की आपूर्ति करने वाला देश है. इसमें परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन शामिल है. रूस ने यह भी कहा है कि वह भारत की व्यापक स्तर पर सुरक्षा हितों में मदद करेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगू के बीच बैठक में मास्को ने यह आश्वासन दिया.
अमेठी में राइफल फैक्ट्री की स्थापना
भारत और रूस ने अपने रक्षा उद्योगों की व्यस्तता को बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की और एक बड़ी डील को अंतिम रूप दिया. इस डील के तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक AK-203 असॉल्ट राइफल फैक्ट्री की स्थापना की जाएगी. एके-203 राइफल को ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों ही मोड पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
रूस की 3 दिवसीय यात्रा पर
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फिलहाल रूस की 3 दिवसीय यात्रा पर हैं. रुस में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे. यह बैठक द्वितीय विश्व युद्ध में जीत की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है.
मुख्य बिंदु
• रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रूस के रक्षा मंत्री के साथ दोनों देशों के संबंधों को लेकर बातचीत की है. दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच करीब एक घंटे तक बैठक हुई.
• इस दौरान भारत के साथ अपने दोस्ती निभाते हुए रूस ने वादा किया है कि वो पाकिस्तान को हथियार नहीं देगा. रूस ने इसके अलावा भारत के सुरक्षा से जुड़े मामलों पर पूरा साथ देने का भरोसा भी दिया है.
• राजनाथ सिंह ने पहले हुए समझौतों के तहत रूस द्वारा भारत को कई हथियार प्रणालियों, गोला बारूद और कल पुर्जों की आपूर्ति में तेजी लाने को भी कहा.
• राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री को आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया कार्यक्रम की भी जानकारी दी. दोनों पक्षों ने एके-203 रायफल के उत्पादन के लिए भारत-रूस संयुक्त उद्दम की भारत में स्थापना पर अंतिम चरण की चर्चा का भी स्वागत किया.
• रूस ने दोहराया कि उसने भारतीय सुरक्षा हितों का समर्थन किया है. रूस ने भारत के मेक इन इंडिया (Make in India) प्रोग्राम की भी सराहना की है और अपनी ओर से योगदान की बात कही.
आठ सदस्य देशों के रक्षा मंत्री लेंगे हिस्सा
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की एक बैठक में भी शामिल होंगे, जिसमें आठ सदस्य देशों के रक्षा मंत्री हिस्सा लेंगे. बैठक में आतंकवाद, अतिवाद जैसी क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और उनसे एकजुट होकर निपटने के तरीकों पर चर्चा होने की उम्मीद है