चीन में अब ब्यूबोनिक प्लेग का खतरा, जानें यह कैसे फैलता है?
ब्यूबोनिक प्लेग एक अत्यधिक संक्रामक और घातक बीमारी है जो ज्यादातर रोडेंट्स (Rodents) से फैलता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार यह बीमारी बैक्टीरिया यर्सिनिया पेस्टिस के कारण होती है.
चीन में कोरोना वायरस के बाद अब ब्यूबोनिक प्लेग फैल गया है. इससे देश के दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से में आपातकाल लगा दिया गया है. बताया जा रहा है कि एक तीन साल का बच्चा प्लेग की चपेट में आ गया है. यह बच्चा चीन के यून्नान प्रांत के मेंघाई काउंटी का रहने वाला है. चीन में 21 सितम्बर को प्लेग के फैलने का मामला सामने आया था.
इस घटना के बाद चीनी प्रशासन ने इलाके में चौथे स्तर का आपातकाल घोषित कर दिया है. प्रशासन की कोशिश है कि कोरोना वायरस की तरह से एक और महामारी न फैले इसके लिए यह आपातकाल घोषित किया गया है. इससे पहले यून्नान में ही प्लेग से संक्रमित तीन मरे हुए चूहे मिले थे. इससे पहले अगस्त महीने में उत्तरी मंगोलिया में प्लेग फैलने का मामला सामने आया था.
दुनिया अभी कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रकोप से मुक्त भी नहीं हो पाई है और चीन से एक और खतरे का अलर्ट जारी हो गया है. उत्तरी चीन के एक शहर में 05 जुलाई 2020 को ब्यूबोनिक प्लेग का संदिग्ध मामला सामने आया था. इसके बाद अलर्ट जारी किया गया है. इसे ब्लैक डेथ के नाम से भी जाना जाता है.
अब एक बार फिर चीन से एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी फैलने का खतरा है. चीन के सरकारी पीपल्स डेली ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार आंतरिक मंगोलियाई स्वायत्त क्षेत्र, बयन्नुर शहर में ब्यूबोनिक प्लेग को लेकर 05 जुलाई को एक चेतावनी जारी की गई. बयन्नुर में ब्यूबोनिक प्लेग की रोकथाम और नियंत्रण के लिए लेवल थ्री की चेतावनी जारी की गई है.
ब्यूबोनिक प्लेग क्या है?
ब्यूबोनिक प्लेग एक अत्यधिक संक्रामक और घातक बीमारी है जो ज्यादातर रोडेंट्स (Rodents) से फैलता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार यह बीमारी बैक्टीरिया यर्सिनिया पेस्टिस के कारण होती है, जो आम तौर पर छोटे स्तनधारियों और उनके पिस्सू में पाए जाने वाले एक जूनोटिक जीवाणु होते हैं. इसमें रोग के लक्षण एक से सात दिनों के बाद दिखाई देते हैं. यह बीमारी आमतौर पर पिस्सू के काटने से फैलती है जो चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे संक्रमित जीवों पर भोजन के लिए निर्भर करता है.
ब्यूबोनिक प्लेग के लक्षण
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, ब्यूबोनिक प्लेग के लक्षणों में अचानक बुखार आना, ठंड लगना, सिर और शरीर में दर्द और कमजोरी, उल्टी और मतली जैसे लक्षण शामिल हैं. शरीर में एक या कई जगहों पर सूजन आ जाती है.
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने जारी की चेतावनी
ब्यूबोनिक प्लेग का यह केस बयन्नुर के एक अस्पताल में 04 जुलाई 2020 को सामने आया. स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने यह चेतावनी 2020 के अंत तक के लिए जारी की है. यह बीमारी जंगली चूहों में पाए जाने वाली बैक्टीरिया से होती है. इस बैक्टीरिया का नाम यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम है. यह बैक्टीरिया शरीर के लिंफ नोड्स, खून और फेफड़ों पर हमला करता है. इससे उंगलियां काली पड़कर सड़ने लगती है. नाक के साथ भी ऐसा ही होता है.
ब्यूबोनिक प्लेग कितना घातक है?
मध्य युग में ब्यूबोनिक प्लेग महामारी, जिसे ‘ब्लैक डेथ’ भी कहा जाता है. इसने यूरोप की आधी से अधिक आबादी का सफाया कर दिया था. हालांकि, एंटीबायोटिक दवाओं की उपलब्धता के साथ बीमारी का अब काफी हद तक इलाज हो सकता है.
यह बीमारी पहले भी आ चुका है
इस बीमारी ने पहले भी पूरी दुनिया में लाखों लोगों को मारा है. इस जानलेवा बीमारी का दुनिया में तीन बार हमला हो चुका है. यह बीमारी पहली बार 5 करोड़, दूसरी बार पूरे यूरो की एक तिहाई आबादी और तीसरी बार 80 हजार लोगों की जान ली थी. इस बीमारी को ब्लैक डेथ या काली मौत भी कहते हैं.
विश्वभर में ब्यूबोनिक प्लेग के साल 2010 से साल 2015 के बीच लगभग 3248 मामले सामने आ चुके हैं. जिनमें से 584 लोगों की मौत हो चुकी है. इन सालों में ज्यादातर मामले डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, मैडागास्कर, पेरू में आए थे. इससे पहले साल 1970 से लेकर साल 1980 तक इस बीमारी को चीन, भारत, रूस, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण अमेरिकी देशों में पाया गया है.
ब्यूबोनिक प्लेग का दूसरा हमला दुनिया पर 1347 में हुआ था. तब इसे नाम दिया ब्लैक डेथ (Black Death) गया था. इस दौरान इसने यूरोप की एक तिहाई आबादी को खत्म कर दिया था. ब्यूबोनिक प्लेग का तीसरा हमला दुनिया पर 1894 के आसपास हुआ था. तब इसने लगभग 80 हजार लोगों को मारा था. इसका ज्यादातर असर हॉन्गकॉन्ग के आसपास देखने को मिला था. भारत में साल 1994 में पांच राज्यों में ब्यूबोनिक प्लेग के करीब 700 केस सामने आए थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने नमामि गंगे मिशन के तहत उत्तराखंड में शुरू की 6 परियोजनाएं
प्रधानमंत्री मोदी नमामि गंगे मिशन के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इन परियोजनाओं का उद्घाटन किया. कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी गंगा को समर्पित एक म्यूजियम का भी लोकार्पण किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 सितम्बर 2020 को उत्तराखंड में नमामि गंगे मिशन के तहत 6 मेगा प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया. इनमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी शामिल हैं. पीएम मोदी कार्यक्रम के दौरान गंगा को समर्पित एक म्यूजियम का भी लोकार्पण किया. यह म्यूजियम हरिद्वार के गंगा किनारे चांदनी घाट पर स्थित है. पीएम मोदी ने जल जीवन मिशन का लोगो भी लॉन्च किया है.
प्रधामंत्री ने इस मौके पर कहा कि आज मां गंगा की निर्मलता को सुनिश्चित करने वाले 6 प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं. जल जीवन मिशन भारत के गांवों में हर घर तक साफ पानी पहुंचाने का एक बहुत बड़ा अभियान है. इस मिशन का लोगो लोगों को पानी की हर एक बूंद को बचाने की प्रेरणा देगा. उत्तराखंड में हरिद्वार-ऋषिकेश क्षेत्र से गंगा नदी में लगभग 80 प्रतिशत अपशिष्ट जल बहाया जाता है.
प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री ने कहा कि नमामि गंगा मिशन सिर्फ गंगा की सफाई तक सीमित नहीं है ये देश का सबसे बड़ा नदी संरक्षण कार्यक्रम है. गंगा जल में गंदा पानी रोकने के लिए सीव्रेज ट्रीटमेंट प्लांट का जाल बिछाया जा रहा है. गंगा के किनारे बसे 100 शहरों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है. नमामि मिशन योजना के तहत कई प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं और कई पर काम चल रहा है.
पीएम ने बताया कि केवल एक साल में दो करोड़ परिवारों तक पीने का साफ पानी पहुंचाया है. उत्तराखंड में सिर्फ एक रुपये में पीने के पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है. साल 2022 तक उत्तराखंड के सभी घरों तक पीने के पानी का कनेक्शन पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन ग्राम स्वराज मिशन को भी मजबूत करता है.
उत्तराखंड के सीवर प्लांट
• उत्तराखंड के जगजीतपुर, हरिद्वार में 230.32 करोड़ रुपये की लागत के 68 मेगालीटर और 19.64 करोड़ रुपये की लागत के 27 एमएलडी एसटीपी बनाए गए हैं.
• चन्द्रेश्वर नगर, ऋषिकेश में 41.12 करोड़ की लागत से बना 7.50 एमएलडी एसटीपी बनकर तैयार हुआ है.
• सराय, हरिद्वार में 12.99 करोड़ की लागत के 18 एमएलडी एसटीपी बनकर तैयार हुआ है.
• लक्कड़घाट, ऋषिकेश में 158 करोड़ रुपये की लागत से 26 एमएलडी एसटीपी बना है.
• बद्रीनाथ में 18.23 करोड़ रुपये से बने एक एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट बना है.
• मुनी की रेती, टिहरी में 39.32 करोड़ रुपये लागत से 5 मेगालीटर का ट्रीटमेंट प्लांट बना है.
नमामि गंगे परियोजना: एक नजर में
यह योजना केंद्र सरकार की है जिसे साल 2014 में शुरू किया गया था. सरकार द्वारा इस परियोजना की शुरुआत गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने तथा गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के मुख्य उद्देश्य से की गई थी. इस योजना का क्रियान्वयन केंद्रीय जल संसाधन,नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है. उत्तराखंड में जो नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बने हैं, वे सभी अत्याधुनिक हैं. इनके जरिए सॉलिड वेस्ट को कम्पोस्ट के रूप में बदला जाएगा.
रक्षा मंत्रालय ने 2,290 करोड़ रुपये के सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी
रक्षा खरीद संबंधी निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च समिति रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में इन खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई.
रक्षा मंत्रालय ने 28 सितम्बर 2020 को 2,290 करोड़ रुपये के हथियार एवं सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दे दी है. इसमें अमेरिका से लगभग 72,000 सिग सॉअर असॉल्ट राइफलों की खरीद भी शामिल है. रक्षा मंत्रालय चीन के साथ एलएसी पर बढ़ते तनाव के बीच लगातार बड़े फैसले ले रहा है.
रक्षा खरीद संबंधी निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च समिति रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में इन खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. रिपोर्ट के अनुसार, डीएसी ने जिन उपकरणों और हथियारों की खरीद को मंजूरी दी है उनमें राइफलों के अलावा वायुसेना एवं नौसेना के लिए करीब 970 करोड़ रुपये में एंटी-एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्ल्यू) प्रणाली शामिल हैं.
रक्षा मंत्रालय ने क्या कहा?
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली डीएसी ने 2,290 करोड़ रुपये के हथियार एवं सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी. रिपोर्ट के अनुसार, सेना के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के लिए सिग सॉअर राइफलों की खरीद 780 करोड़ रुपये में की जाएगी.
रक्षा मंत्री ने क्या कहा?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नई रक्षा खरीद प्रक्रिया में मेक इन इंडिया के तहत घरेलू रक्षा कंपनियों को ताकत देने की पूरी व्यवस्था की गई है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप है. इसका मुख्य लक्ष्य भारत को रक्षा क्षेत्र में एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनना है.
मुख्य बिंदु
• नई खरीद प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए हथियारों और सैन्य साजो-समान को किराए (लीज) पर लेने का विकल्प खोल दिया गया है. इस बदलाव के बाद अब लड़ाकू हेलिकॉप्टर, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, नौसैनिक जहाज से लेकर युद्धक साजो-समान को देश-विदेश कहीं से भी अनुबंध पर लेने का रास्ता खुल गया है.
• रक्षा मंत्री के अनुसार, रक्षा क्षेत्र की हाल में ही घोषित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नई नीति के मद्देनजर डीएपी-2020 में घरेलू कंपनियों को प्रोत्साहित करने का प्रावधान रखा गया है.
• रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, नये डीएपी के बाद युद्धक हेलिकॉप्टर और सैन्य उपकरण-हथियार, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, नौसैनिक जहाज आदि किराए पर लिए जा सकेंगे.
• रक्षा खरीद परिषद ने 2290 करोड़ रुपये की के सैन्य साजो-सामान की खरीद को मंजूरी दे दी है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई डीएसी की बैठक में सीमा के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के लिए सिग सौर असाल्ट रायफल भी शामिल हैं.
रक्षा खरीद की नई प्रक्रिया एक अक्टूबर से लागू
रक्षा खरीद की नई प्रक्रिया एक अक्टूबर से लागू हो जाएगी. सीमित संसाधनों की चुनौती के बीच देश की रक्षा और सैन्य साजो-समान की भारी जरूरतों को देखते हुए अनुबंध के विकल्प को खरीद प्रक्रिया के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में शामिल किया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों से समझौता किए बिना पूंजीगत खर्च में कमी लाने के मकसद से हथियारों और सैन्य साजो-समान को लीज पर लिया जा सकेगा. अभी केवल रूस से नौसैनिक पनडुब्बी लीज पर लिए जाने के अपवाद के अलावा यह विकल्प नहीं था.
एसआईजी राइफल
बता दें कि पिछले साल फरवरी में हुई फास्ट ट्रैक खरीद के तहत भारतीय सेना को पहले ही 72,400 एसआईजी राइफल दी जा चुकी हैं. 7.62×51 मिमी कैलिबर वाली इन रायफल की प्रभावी मारक क्षमता 500 मीटर की है.
केंद्र सरकार ने NIA की इम्फाल, चेन्नई और रांची में नई शाखाएं खोलने की दी मंजूरी
यह फैसला एनआइए की आतंकवाद से संबंधित मामलों और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी मुद्दों की जांच क्षमता को मजबूत करेगा. एनआईए की अतिरिक्त शाखाओं की स्थापना से एजेंसी आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में पहले से अधिक सक्षम हो सकेगी.
गृह मंत्रालय ने 28 सितम्बर 2020 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए की तीन अतिरिक्त शाखाओं को इम्फाल, चेन्नई और रांची में स्थापित करने की मंजूरी दे दी है. एनआईए के अनुसार, इस निर्णय से आतंकवाद रोधी जांच एजेंसी को संबंधित राज्यों में किसी भी उभरती हुई स्थिति को लेकर जल्दी प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी.
यह फैसला एनआइए की आतंकवाद से संबंधित मामलों और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी मुद्दों की जांच क्षमता को मजबूत करेगा. एनआईए की अतिरिक्त शाखाओं की स्थापना से एजेंसी आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में पहले से अधिक सक्षम हो सकेगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश में एनआइए की तीन नई शाखाओं को स्वीकृति दी है.
एनआईए: एक नजर में
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जाँच एजेंसी है. यह केन्द्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है. एजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निपटने हेतु सशक्त है.
एनआईए का मुख्यालय दिल्ली में है. देश में इस समय इसकी नौ शाखाएं गुवाहाटी, मुंबई, जम्मू, कोलकाता, हैदराबाद, कोच्चि, लखनऊ, रायपुर और चंडीगढ़ में हैं. अब तीन और को मंजूरी दे दी गई है. इस एजेंसी को आतंकी गतिविधियों की जांच में विशेषज्ञता हासिल हैं. सरकार का मानना है कि नई शाखाओं से इन राज्यों में आतंकरोधी मोर्चे पर प्रभावी तरीके से काम करने, समय से सूचना हासिल करने और घटनाओं को रोकने में सहायता मिलेगी.
साल 2008 में मुंबई हमले के बाद आतंकवाद को समाप्त करने के लिए एनआईए का गठन किया गया था. यह जांच एजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निपटने के लिए सशक्त है. इसके संस्थापक महानिदेशक राधा विनोद राजू थे जिनका कार्यकाल 31 जनवरी 2010 को समाप्त हुआ था. इन के पश्चात यह कार्यभार शरद चंद्र सिन्हा ने संभाला है.
आतंकी हमलों की घटनाओं, आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने एवं अन्य आतंक संबंधित अपराधों का अन्वेषण के लिए एनआईए का गठन किया गया जबकि सीबीआई आतंकवाद को छोड़ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों एवं गंभीर तथा संगठित अपराधों का अन्वेषण करती है