Current Affairs 13 Oct 2020

Nobel Prize 2020 In Economic: पॉल मिलग्रोम और रॉबर्ट विल्सन को मिला अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार

यह पुरस्कार मिलग्रो और विल्सन को ऑक्शन थ्योरी (नीलामी सिद्धांत) में सुधार और नीलामी के नए तरीकों का आविष्कार करने के लिए दिया गया है.

अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार का घोषणा कर दिया गया है. इस साल अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाने वाला नोबेल पुरस्कार पॉल आर मिलग्रो और रॉबर्ट बी विल्सन को दिया गया है. नोबेल पुरस्कार समिति ने 12 अक्टूबर 2020 को इस साल के छठे और अंतिम पुरस्कार विजेताओं का घोषणा किया.

यह पुरस्कार मिलग्रो और विल्सन को ऑक्शन थ्योरी (नीलामी सिद्धांत) में सुधार और नीलामी के नए तरीकों का आविष्कार करने के लिए दिया गया है. इससे पहले चिकित्सा, भौतिकी और रसायन के क्षेत्र के अलावा साहित्य और शांति के लिए नोबेल पुरस्कारों का घोषणा हो चुका है. सभी पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिए जाएंगे.

 

पॉल मिलग्रोम और रॉबर्ट विल्सन: एक नजर में

पॉल आर मिलग्रोम और रॉबर्ट बी विल्सन, दोनों अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं. उन्होंने अध्ययन किया कि नीलामी की प्रक्रिया कैसे काम करती है. उन्होंने ऐसी वस्तुओं और सेवाओं के लिए (जैसे कि रेडियो फ्रीक्वेंसी) नए नीलामी प्रारूपों को तैयार किया, जिन्हें पारंपरिक तरीके से बेचना मुश्किल है. उनकी खोजों से दुनियाभर के विक्रेता, खरीदार और करदाताओं को लाभ पहुंचा है.

नीलामी सिद्धांत क्या है?

नीलामी सिद्धांत (Auction Theory) का इस्तेमाल करते हुए, शोधकर्ता बोली लगाने और अंतिम कीमतों के लिए विभिन्न नियमों के परिणामों को समझने की कोशिश करते हैं. विल्सन ने एक सामान्य मूल्य वाली वस्तुओं की नीलामी के लिए सिद्धांत विकसित किया. इसके अनुसार एक मूल्य जो पहले से अनिश्चित होता है लेकिन अंत में सभी के लिए समान रहता है. मिलग्रोम ने नीलामी का एक सामान्य सिद्धांत तैयार किया जो न केवल सामान्य मूल्यों की अनुमति देता है, बल्कि निजी मान भी रखता है.

नोबेल पुरस्कार: एक नजर में

नोबेल पुरस्कार दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण पुरस्कारों में से एक है. यह स्वीडन के आविष्कारक एल्फ़्रेड नोबेल की इच्छा के अनुसार शुरू किया गया था. पहला नोबेल पुरस्कार वर्ष 1901 में दिया गया था. नोबेल पुरस्कार कई श्रेणियों में दिये जाते हैं. ऐसे कार्यक्रमों और लोगों को इस पुरस्कार के योग्य समझा जाता है जिन्होंने मानव जाति की भलाई के लिए कुछ बड़ा योगदान दिया है. नोबेल फ़ाउंडेशन का नियम कहता है कि यदि कोई विशेष श्रेणी में पुरस्कार का हक़दार नहीं है, तो उसे सम्मानित नहीं किया जाता और उस वर्ष की पुरस्कार राशि को अगले वर्ष के लिए संजोकर रख लिया जाता है.

Johnson & Johnson ने कोरोना वैक्सीन परीक्षण पर लगाई रोक, जानें क्या है मुख्य कारण

कोरोना के टीके की खोज के लिए विभिन्न देशों में परीक्षण चल रहा है. इस बीच, अमेरिका की चिकित्सा उपकरण विनिर्माता कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोना वैक्सीन के ट्रायल को फिलहाल रोक दिया है.

दुनियाभर में वैज्ञानिक कोरोना वायरस वैक्सीन को तैयार करने हेतु दिन-रात जुटे हुए हैं. विश्वभर में कोरोना वायरस संक्रमितों का आंकड़ा चार करोड़ के लगभग पहुंच गया है. कोरोना के टीके की खोज के लिए विभिन्न देशों में परीक्षण चल रहा है. इस बीच, अमेरिका की चिकित्सा उपकरण विनिर्माता कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोना वैक्सीन के ट्रायल को फिलहाल रोक दिया है.

जॉनसन एंड जॉनसन ने 12 अक्टूबर 2020 को कहा कि वह कोविड-19 (COVID-19) वैक्सीन के ट्रायल को अस्थायी रूप से रोक रहा है क्योंकि उसके प्रतिभागियों में से एक व्यक्ति बीमार हो गया है. कंपनी ने बयान में कहा कि हमने अपने कोविड-19 वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए प्रतिभागियों को दी जाने वाली आगे की खुराक फिलहाल के लिए रोक दी है. इसमें फेज 3 का ट्रायल भी शामिल है.

कोरोना वैक्सीन परीक्षण सूची में शामिल

इस महीने की शुरुआत में, जॉनसन एंड जॉनसन अमेरिका में वैक्सीन तैयार करने वाली उन कंपनियों की सूची में शामिल हुआ, जो प्रायोगिक कोरोना वैक्सीन परीक्षण से आगे बढ़ते हुए मानव परीक्षण चरण में पहुंचा. जॉनसन एंड जॉनसन की एडी26-सीओवी2-एस वैक्सीन अमेरिका में चौथी ऐसी वैक्सीन है, जो क्लिनिकल ट्रायल के अंतिम चरण में है.

एस्ट्राजेनेका ने भी परीक्षण पर रोक लगाया

एस्ट्राजेनेका ने भी इससे पहले कोरोना वैक्सीन के परीक्षण पर रोक लगा दी थी. परीक्षण के दौरान एक प्रतिभागी बीमार पड़ गया था, जिसके बाद कंपनी ने परीक्षण को रोक दिया. हालांकि, एस्ट्राजेनेका का कोरोना वैक्सीन परीक्षण दुनिया के कई देशों में जारी है, इसे केवल अमेरिका में ही रोका गया है

60 हजार लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण

जॉनसन एंड जॉनसन ने जब इस वैक्सीन के अंतिम चरण के परीक्षण को शुरू किया था, तब कंपनी ने कहा था कि इसके तहत अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, चिली, कोलंबिया, मैक्सिको और पेरू में 60 हजार लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा. जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के ट्रायल पर रोक लगने की खबर ऐसे समय में आई है, जब इससे पहले एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर रोक लगा दी गई थी.

कोरोना का कहर जारी

दुनिया भर के 180 से ज्यादा देशों को कोरोना वायरस अपने चपेट में ले चुका है. दुनिया में कोविड-19 संक्रमितों की कुल संख्या 3.74 करोड़ के पार पहुंच गई है. वहीं, 10.76 लाख मरीज़ इस वायरस की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि 2.60 करोड़ से ज्यादा मरीज़ कोरोना वायरस को मात देने में सफल हुए हैं.

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