सऊदी अरब ने पाकिस्तान को कर्ज और तेल की आपूर्ति पर लगाई रोक
सऊदी अरब ने पाकिस्तान के लिए अपने ऋण और तेल की आपूर्ति को समाप्त कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच दशकों पुरानी दोस्ती खत्म हो गई है.
सऊदी अरब ने पाकिस्तान के लिए अपने ऋण और तेल की आपूर्ति को समाप्त कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच दशकों पुरानी दोस्ती खत्म हो गई है. यह जानकारी एक प्रमुख मीडिया संगठन द्वारा दी गई थी.
सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 1 बिलियन अमरीकी डालर वापस करने के लिए भी कहा है, जोकि नवंबर, 2018 में सऊदी अरब द्वारा घोषित 6.2 बिलियन डॉलर के पैकेज के एक हिस्से के तौर पर दिया गया था. कुल मिलाकर, इस पैकेज में 3 बिलियन डॉलर का ऋण और तेल ऋण की सुविधा 3.2 बिलियन डॉलर शामिल थी.
फरवरी, 2019 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की पाकिस्तान यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.
सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंध क्यों खत्म कर लिए हैं?
सऊदी अरब का यह कदम पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा कश्मीर मुद्दे पर भारत-विरोधी रुख न अपनाने के लिए सऊदी अरब के नेतृत्व वाले इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) को जारी की गई कड़ी चेतावनी के जवाब में था.
कुरैशी ने कथित तौर पर OIC को विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक बुलाने के लिए कहा था. बाद में उन्होंने चेतावनी देते हुए यह कहा था कि, अगर यह बैठक नहीं बुलाई गई तो वह पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाने के लिए कहने को मजबूर होंगे जो कश्मीर मामले पर उनका (पाकिस्तान का) समर्थन करने के लिए तैयार हैं.
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने यह कहा कि, पाकिस्तान सऊदी अरब के अनुरोध पर कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ और अब पाकिस्तान को यह उम्मीद है कि, राष्ट्र इस मुद्दे पर नेतृत्व करेगा.
मालदीव ने किया पाकिस्तान के इस्लामोफोबिया नैरेटिव को विफल
पाकिस्तान कथित तौर पर भारत में इस्लामोफोबिया के उदय की अपनी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रहा है. हालांकि, भारत के सहयोगी देश मालदीव ने यह कहते हुए इस कदम का विरोध किया है कि, कुछ प्रेरित लोगों द्वारा अलगाव के बयानों और सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार अभियान को 1.3 बिलियन की भावनाओं के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र में मालदीव के स्थायी प्रतिनिधि थिल्मिजा हुसैन ने यह कहा कि, भारत के संदर्भ में इस्लामोफोबिया में वृद्धि होने का आरोप लगाना तथ्यात्मक रूप से गलत होगा. उन्होंने यह भी कहा कि, यह दक्षिण एशियाई क्षेत्र में धार्मिक सद्भाव के लिए हानिकारक होगा, क्योंकि इस्लाम भारत में सदियों से मौजूद है और देश की 14.2 प्रतिशत आबादी मुस्लिम होने के साथ भारत में इस्लाम दूसरा सबसे बड़ा धर्म है.
पृष्ठभूमि
पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाना चाहता था क्योंकि भारत ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को रद्द कर दिया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य को पहले विशेष दर्जा दिया गया था. हालाँकि, यह राष्ट्र अब तक इस मुद्दे पर सफल नहीं हो पाया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन: ऑनरिंग द ऑनेस्ट’ प्लेटफॉर्म की शुरुआत की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा कि ये प्लेटफॉर्म 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की शुरुआत है, जिसमें फेसलैस असेसमेंट-अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 अगस्त 2020 को ईमानदारी से कर चुकाने वालों के लिए ‘ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन: ऑनरिंग द ऑनेस्ट’ नामक एक मंच का शुभारंभ किया है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से होने वाले इस आयोजन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर भी उपस्थित रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा कि ये प्लेटफॉर्म 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की शुरुआत है, जिसमें फेसलैस असेसमेंट-अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इनमें कुछ सुविधा अभी से लागू हो गई है, जबकि पूरी सुविधा 25 सितंबर 2020 से शुरू होगी.
इससे होने वाले लाभ
इस नए टैक्स प्लेटफॉर्म के तहत करदाता को फेसलेस असेसमेंट, टैक्स पेयर्स चार्टर, फेसलेस अपील की सुविधा मिलेगी. साथ ही अब टैक्स देने में आसानी होगी, तकनीक की सहायता से लोगों पर भरोसा जताया जाएगा.
प्रधानमंत्री के भाषण की बड़ी बातें
• प्रधानमंत्री ने कहा कि कि गलत तौर-तरीके सही नहीं है और छोटे रास्ते नहीं अपनाना चाहिए. हर किसी को कर्तव्यभाव को आगे रखते हुए काम करना चाहिए.
• उन्होंने कहा कि आज देश में रिफॉर्म लगातार किया जा रहा है, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में देश आगे बढ़ा रहा है. कोरोना संकट में भी देश में रिकॉर्ड एफडीआई का आना इसी का उदाहरण है.
• पीएम ने कहा कि पहले दस लाख का मामला भी अदालत में चला जाता था, लेकिन अब हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में जाने वाले मामले की सीमा क्रमश: 1-2 करोड़ की गई है.
• पीएम मोदी ने कहा कि देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है.
क्यों टैक्स सिस्टम की नई व्यवस्था की जरूरत?
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के टैक्स सिस्टम में आधारभूत और ढांचागत बदलाव की जरूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे इनवॉल्व हुआ. आज़ादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन बड़े तंत्र का कैरेक्टर वही रहा.
टैक्सपेयर्स चार्टर क्या है?
प्रधानमंत्री ने टैक्सपेयर्स चार्टर लागू करने का घोषणा किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले बजट में टैक्सपेयर्स चार्टर लाने का घोषणा किया था. उन्होंने पिछले हफ्ते भी इस चार्टर को जल्द लागू करने के संकेत दिए थे. टैक्सपेयर्स चार्टर का उद्देश्य करदाताओं और इनकम टैक्स विभाग के बीच विश्वास बढ़ाना, टैक्सपेयर्स की परेशानी कम करना और अधिकारियों की जवाबदेही तय करना होता है. इस समय विश्व के केवल तीन देशों- अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में ही यह लागू है.
केंद्र सरकार ने बिना बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और पंजीकरण की अनुमति दी
इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल लागत में लगभग 30 से 40 प्रतिशत बैटरी की होती है. केंद्र सरकार ने कहा कि कंपनियों इसे अलग से दे सकती हैं.
केंद्र सरकार ने 12 अगस्त 2020 को पहले से बैटरी लगे बिना भी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और पंजीकरण की अनुमति दे दी है. केंद्र सरकार ने कहा कि इससे इन वाहनों की लागत में कमी आयेगी. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के मुताबिक रजिस्ट्रेशन कराते समय बैटरी के बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी.
इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल लागत में लगभग 30 से 40 प्रतिशत बैटरी की होती है. केंद्र सरकार ने कहा कि कंपनियों इसे अलग से दे सकती हैं. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालय ने पहले से बैटरी लगाए बिना भी इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति दे दी है.
परिवहन सचिवों को लिखा पत्र
मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परिवहन सचिवों को लिखे पत्र में, स्पष्ट किया है कि परीक्षण एजेंसी द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट ऑफ अप्रूवल के आधार पर बिना बैटरी वाले वाहनों को बेचा और रजिस्टर किया जा सकता है.
प्रदूषण को करेगा कम
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा कि यह वाहनों के प्रदूषण और तेल आयात व्यय को कम करने हेतु व्यापक राष्ट्रीय एजेंडा को प्राप्त करने की दिशा में संयुक्त रूप से काम करने का समय है. यह न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा और तेल आयात व्यय को कम करेगा, बल्कि यह कई नए उद्योगों को भी अवसर प्रदान करेगा.
बैटरी के बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं
मंत्रालय के अनुसार रजिस्ट्रेशन कराते समय बैटरी के बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी (नियमित या स्वैपेबल) के प्रोटोटाइप को केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 126 के तहत खास टेस्टिंग एजेंसियों द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है. प्रमुख सचिवों और राज्यों के परिवहन सचिवों को दी गई सलाह में कहा गया कि सरकार देश में इलेक्ट्रिक आवागमन में तेजी लाने के लिए एक इकोसिस्टम बनाने की कोशिश कर रही है.
विद्युत वाहन को बढ़ावा
दो पहिया और तिपहिया विद्युत वाहनों को बढ़ावा देने के लिए, वाहन लागत से बैटरी की लागत (जो कुल लागत का 30-40 प्रतिशत होती है) को हटाने की सिफारिशें मंत्रालय से की गईं. तब वाहनों को बैटरी के बिना भी बाजार में बेचा जा सकता है.
अमेरिका ने H-1B वीजा प्रतिबंधों में किया छूट का ऐलान, जानें किसे होगा फायदा
इस फैसले से इन वीजा धारकों को अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति मिल सकेगी. खास तौर से उन लोगों को इससे फायदा मिलेगा जो वीजा प्रतिबंध की वजह से नौकरी छोड़कर गए थे.
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा के कुछ नियमों में ढील देने की घोषणा की है. ट्रंप प्रशासन की ओर से कहा है कि नियमों में बदलाव किये गए हैं, ताकि चुनिंदा मामलों में वीजा धारकों को अमेरिका आने की अनुमति दी जा सके. इस ढील के बाद H-1B वीजा धारकों को अमेरिका में फिर से प्रवेश की अनुमति मिल सकेगी.
इस फैसले से इन वीजा धारकों को अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति मिल सकेगी. खास तौर से उन लोगों को इससे फायदा मिलेगा जो वीजा प्रतिबंध की वजह से नौकरी छोड़कर गए थे. अगर वो उन्हीं नौकरियों में वापस आते हैं तो इस छूट का फायदा मिल सकता है. इसके अतिरिक्त वीजाधारक की पत्नी और बच्चों को भी राहत देते हुए प्राइमरी वीजा के साथ अमेरिका में आने की मंजूरी दी गई है.
ट्रंप प्रशासन ने इसके अलावा उन वीजा धारकों को भी यात्रा की अनुमति दी है, जो कोविड-महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए पब्लिक हेल्थ या हेल्थकेयर प्रोफेशनल और शोधकर्ता के तौर पर काम कर रहे हैं. ट्रंप प्रशासन ने तकनीकी विशेषज्ञों, सीनियर लेवल के मैनेजर और वर्कर्स को भी यात्रा की अनुमति दे दी है, जिनके पास H-1B वीजा है. हालांकि, ये फैसला उन लोगों पर लागू है, जिनकी यात्रा अमेरिका के तुरंत और निरंतर आर्थिक सुधार को सुविधाजनक बनाने के लिए बेहद जरूरी हैं.
भारत को फायदा
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से भारत के आईटी प्रोफेशनल्स को बड़ा फायदा होने की आशा है. यही कारण है कि शुरुआती कारोबार में टीसीएस, टेक महिंद्रा, इन्फोसिस और एचसीएल के शेयर में 1 प्रतिशत तक की बढ़त दर्ज की गई.
अमेरिका में नौकरी करने वाले को मिलेगा फायदा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 अगस्त 2020 को एच-1 बी वीजा प्रणाली के धोखाधड़ी और दुरुपयोग को खत्म करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. इससे अब अमेरिका में नौकरी करने वाले लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम अमेरिकी श्रमिकों की रक्षा के लिए काफी मददगार साबित होने वाला है.
एच-1बी वीजा क्या है?
एच-1बी वीजा एक गैर आप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी विशेषज्ञों को नौकरी पर रखने की अनुमति देता है. यह किसी कर्मचारी को अमेरिका में छह साल काम करने के लिए जारी किया जाता है. अमेरिका में काम करने वाले ज्यादातर भारतीय आइटी पेशेवर इसी वीजा पर वहां जाते हैं. अमेरिकी टेक कंपनियां हर साल इसी वीजा पर भारत और चीन समेत दूसरे देशों से हजारों कर्मचारियों को नौकरी पर रखती हैं. इस वीजा की एक खासियत भी है कि यह अन्य देशों के लोगों के लिए अमेरिका में बसने का रास्ता भी आसान कर देता है.
पृष्ठभूमि
बता दें कि कोरोना महामारी के बाद 22 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल के लिए एच-1बी वीजा निलंबित करने के घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किया था. इससे भारत समेत दुनिया के आईटी प्रोफेशनल के बड़े झटका के तौर पर देखा जा रहा था. अमेरिका में कोरोना संकट से हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं. ऐसे में अमेरिकी सरकार ने एच-1 बी वीजा को लेकर बड़ा फैसला करने का काम किया है.