Current Affairs 11 Sept 2020

सुप्रीम कोर्ट ने Loan Moratorium 28 सितंबर तक बढ़ाया, जानें वजह

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मोरेटोरियम के दौरान लोन के ब्‍याज पर ब्‍याज नहीं वसूलने की याचिका पर विचार करने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में लोन मोरेटोरियम की तारीख को 28 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को बड़ी राहत दी है. इसका मतलब है कि लोगों के लिए अपने कर्ज की ईएमआई का इस तारीख तक भुगतान करना जरूरी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ठोस फैसला लेने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से कहा कि इस अवधि में लोन की अदायगी ना होने पर भी अकाउंट को एनपीए घोषित नहीं किया जाए. कोरोना की महामारी से लोगों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इससे राहत देने के लिए लोन पर मोरेटोरियम देने का फैसला किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मोरेटोरियम के दौरान लोन के ब्‍याज पर ब्‍याज नहीं वसूलने की याचिका पर विचार करने के लिए कहा है. याचिका में इस दौरान कर्ज लेने वालों की क्रेडिट रेटिंग या एसेट क्‍लासिफिकेशन को नहीं बदलने की भी अपील की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आरबीआई और अन्‍य वित्‍तीय संस्‍थानों से इस मसले पर सलाह लेने के लिए कहा है. उससे सभी उठाए गए मुद्दों पर कोई ठोस समाधान निकालने को भी कहा गया है.

अगली सुनवाई 28 सितंबर को

10 सितम्बर 2020 को जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि मोरेटोरियम पर फैसला लेने के लिए केंद्र सरकार और आरबीआई को यह अंतिम मौका दिया जा रहा है. साथ ही कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम को 28 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस अवधि तक बैंक किसी भी लोन की किस्त न चुकाने पर नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) घोषित न करें. अगली सुनवाई 28 सितंबर 2020 को ही होगी.

लोन मोरेटोरियम की सुविधा

आरबीआई ने कोरोना संक्रमण के आर्थिक असर को देखते हुए मार्च में तीन महीने के लिए मोरेटोरियम सुविधा दी थी. यह सुविधा 1 मार्च से 31 मई तक तीन महीने के लिए लागू की गई थी. बाद में आरबीआई ने इसे तीन महीनों के लिए और बढ़ाते हुए 31 अगस्त तक के लिए कर दिया था. यानी कुल 6 महीने की मोरेटोरियम सुविधा दी गई है. यह सुविधा 31 अगस्त को खत्म हो गई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम को 28 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया है.

क्या है लोन मोरेटोरियम?

जब किसी प्राकृतिक या अन्य आपदा के कारण लोन लेने वालों की वित्तीय हालत खराब हो जाती है तो लोन देने वालों की तरफ से भुगतान में कुछ समय के लिए मोहलत दी जाती है. कोरोना महामारी के कारण देश में भी लॉकडाउन लगाया गया था. इस कारण बड़ी संख्या में लोगों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया था. आरबीआई ने इस संकट से निपटने के लिए 6 महीने के मोरेटोरियम की सुविधा दी थी. इस अवधि के दौरान सभी प्रकार के लोन लेने वालों को किस्त का भुगतान करने की मोहलत मिल गई थी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं का शुभारंभ किया

इस डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं से सभी ग्राहकों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग लोगों को लाभ होगा, जिनके लिए अब इन सेवाओं का लाभ उठाना ज्यादा आसान होगा.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 9 सितंबर, 2020 को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) द्वारा डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं का शुभारंभ किया है. इस सेवा का उद्देश्य ग्राहकों को उनके डोरस्टेप (द्वार) पर बैंकिंग सेवाओं की सुविधा प्रदान करना है.

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी करके यह कहा है कि, EASE रिफॉर्म्स के एक हिस्से के तौर पर, कॉल सेंटर, वेब पोर्टल या मोबाइल ऐप के सार्वभौमिक टचपॉइंट्स के माध्यम से ग्राहकों को उनके दरवाजे पर बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए इन डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं की परिकल्पना की गई है.

ग्राहक इन माध्यमों से अपने सेवा अनुरोधों की मौजूदा स्थिति के बारे में पता करने में भी सक्षम होंगे.

महत्व

इन डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं से सभी ग्राहकों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग लोगों को लाभ होगा, जिनके लिए अब इन सेवाओं का लाभ उठाना काफी आसान होगा. इन् सेवाओं का उद्देश्य परेशानी मुक्त और सुविधाजनक बैंकिंग तक पहुंच में सुधार करना है.

डोरस्टेप बैंकिंग सेवायेंमुख्य विशेषताएं

• यह डोरस्टेप बैंकिंग सेवा अपने बैंक ग्राहकों को सुविधा प्रदान करने में मदद करेगी.

• देश भर में 100 केंद्रों पर चयनित सेवा प्रदाताओं द्वारा तैनात डोरस्टेप बैंकिंग एजेंटों द्वारा ये सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं.

• सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ग्राहक नाममात्र शुल्क पर इन सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे.

• वर्तमान में ग्राहकों के लिए केवल गैर-वित्तीय सेवाएं जैसेकि चेक, डिमांड ड्राफ्ट या पे ऑर्डर लेना ही उपलब्ध हैं.

• PSBs की ये पूर्ण वित्तीय सेवाएं अक्टूबर 2020 से ग्राहकों के घर पर उपलब्ध कराई जाएंगी.

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक

• सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने EASE 2.0 सुधार एजेंडा शुरू करने के बाद से चार तिमाहियों में अपने प्रदर्शन में एक मजबूत प्रवृत्ति दिखाई है.

• पिछले मार्च, 2019 और इस साल मार्च, 2020 के बीच PSBs का समग्र EASE इंडेक्स स्कोर 37 प्रतिशत तक बढ़ गया, जिसके तहत 100 प्रतिशत में से औसत स्कोर 49.2 से बढ़कर 67.4 तक सुधरा है.

• इसके अलावा, इस सुधार एजेंडा के छह विषयों में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई है, जिसमें जिम्मेदार बैंकिंग, शासन और मानव संसाधन और क्रेडिट ऑफ-टेक के विषयों में MSMEs के लिए उदयमित्र के तौर पर PSBs जैसे विषयों में उच्चतम सुधार को देखा जा रहा है.

पृष्ठ – भूमि

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अधिकांश ग्राहक अब कम से कम 35+ बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं जिनमें इंट्रा-बैंक ट्रांसफर, एनईएफटी, आईएमपीएस, आरटीजीएस, खातों का विवरण और मोबाइल या इंटरनेट बैंकिंग पर चेक बुक का अनुरोध और 23 सेवाएं जैसेकि, चेक बुक जारी करना, चेक स्थिति, फॉर्म 16A जारी करना, कॉल सेंटर के माध्यम से डेबिट कार्ड को ब्लॉक/ सक्रिय करना आदि शामिल हैं.

कुल मिलाकर, पिछले 24 महीनों में डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता लगभग दोगुनी हो गई है. मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग पर लगभग 4 करोड़ सक्रिय ग्राहक हैं, जिनके द्वारा विभिन्न मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग चैनलों के माध्यम से वित्तीय लेनदेन में 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और ये ग्राहक देश  में विभिन्न डिजिटल चैनलों के माध्यम से लगभग 50 प्रतिशत वित्तीय लेनदेन करते हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ साल पहले डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं के बारे में निर्देश जारी किया था और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपने सभी ग्राहकों के लिए इन सेवाओं की व्यवस्था करने के लिए एक सामान्य सेवा प्रदाता नियुक्त करने का फैसला किया था. शुरुआत में, यह डोरस्टेप बैंकिंग सुविधा वरिष्ठ नागरिकों और विकलांगों के लिए उपलब्ध कराई गई थी, जिनके लिए बैंक शाखाओं में जाना मुश्किल होता है.

कोविड -19 महामारी और उसके बाद जारी लॉकडाउन के दौरान, RBI ने यह सूचित किया है कि, कमजोर आयु समूह (70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक) और दिव्यांग श्रेणी के तहत आने वाले सभी लोग भारत में इन बैंकिंग सेवाओं का पूरा लाभ उठा सकते हैं.

आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 105वें स्थान पर, जानें चीन किस स्थान पर

यह रिपोर्ट 162 देशों और अधिकार क्षेत्रों में आर्थिक स्वतंत्रता को आंका गया है. इनमें व्यक्तिगत पसंद का स्तर, बाजार में प्रवेश की योग्यता, निजी सम्पति की सुरक्षा, कानून का शासन सहित अन्य मानकों को देखा जाता है.

कनाडा की एक संस्था द्वारा प्रकाशित की जाने वाली वार्षिक तुलनात्मक रिपोर्ट ‘ग्लोबल इकोनामिक फ्रीडम इंडेक्स’ (वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रा सूचकांक) 2020 में भारत 26 स्थान नीचे खिसक कर 105वें स्थान पर आ गया है. इस सूची में हांगकांग और सिंगापुर पहले और दूसरे स्थान पर तथा चीन 124वें स्थान पर है.

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक वर्ष में सरकार के आकार, न्यायिक प्रणाली और सम्पत्ति के अधिकार, वैश्विक स्तर पर व्यापार की स्वतंत्रता, वित्त, श्रम और व्यवसाय के विनियमन जैसी कसौटियों पर भारत की स्थिति थोड़ी खराब हुई है. भारत पिछले साल 79वें स्थान पर था.

भारत को प्राप्त अंक

दस अंक के पैमाने पर सरकार के आकार के मामले में भारत को एक साल पहले के 8.22 के मुकाबले 7.16 अंक, कानूनी प्रणाली के मामले में 5.17 की जगह 5.06, अंतरराष्ट्रीय व्यापार की स्वतंत्रता के मामले में 6.08 की जगह 5.71 और वित्त, श्रम तथा व्यवसाय के विनियमन के मामल में 6.63 की जगह 6.53 अंक मिले हैं.

इसमें प्राप्तांक दस के जितना करीब होता है स्वतंत्रा उसी अनुपात में अधिक मानी जाती है. यह रिपोर्ट फ्रेजर इंस्टिट्यूट तैयार करता है. इस रिपोर्ट को भारत में दिल्ली की गैर सरकारी संस्था सेंटर फार सिविल सोसाइटी ने 10 सितम्बर 2020 को जारी किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आर्थिक स्वतंत्रा बढ़ने की संभावनाएं अगली पीढ़ी के सुधारों तथा अंतराष्ट्रीय व्यापार के खुलेपन पर निर्भर करेंगी.

सूची में प्रथम दस देश

इस सूची में हांगकांग और सिंगापुर पहले और दूसरे स्थान पर है. सूची में प्रथम दस देशों में न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, मारीशस, जॉर्जिया, कनाडा और आयरलैंड शामिल हैं. जापान को सूची में 20वां, जर्मनी को 21वां, इटली को 51वां, फ्रांस को 58वां, रूस को 89वां और ब्राजील को 105वां स्थान मिला है.

सबसे नीचे स्थान किस देश को मिला है

जिन देशों को सबसे नीचे स्थान मिला है उनमें अफ्रीकी देश, कांगो, जिम्बाब्वे, अल्जीरिया, ईरान, सूडान, वेनेजुएला आदि शामिल हैं.

यह रिपोर्ट कैसे तैयार किया गया है?

यह रिपोर्ट 162 देशों और अधिकार क्षेत्रों में आर्थिक स्वतंत्रता को आंका गया है. इनमें व्यक्तिगत पसंद का स्तर, बाजार में प्रवेश की योग्यता, निजी सम्पति की सुरक्षा, कानून का शासन सहित अन्य मानकों को देखा जाता है. इसके लिये विभिन्न देशों की नीतियों और संस्थानों का विश्लेषण किया जाता है.

आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक क्या है?

आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक (Economic Freedom Index) विश्व के विभिन्न देशों में दी गई आर्थिक स्वतंत्रताओं का तुलनात्मक अध्ययन करने का बहुआयामी सूचकांक है. विदित हो कि विभिन्न देशों में आर्थिक स्वतंत्रता की स्थिति को मापने के लिये अमेरिका का ‘द हेरिटेज फाउंडेशन’ और ‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ संयुक्त रूप से साल 1995 से प्रतिवर्ष आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक जारी कर रहे हैं. गौरतलब है कि यह सूचकांक आर्थिक स्वतंत्रता के 12 मात्रात्मक और गुणात्मक कारकों के आधार पर मापा जाता है.

पीएम मोदी ने लॉन्च किया मत्स्य संपदा योजना, जानें इसके बारे में सबकुछ

प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधन की शुरुआत भोजपुरी भाषा में की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि मछली पालन, डेयरी से जुड़े काम के जरिए किसानों की आय को दोगुना किया जाए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 सितम्बर 2020 को प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) का शुभारंभ किया. इस योजना का मुख्य मकसद किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य के तहत मत्स्यपालन क्षेत्र का निर्यात बढ़ाना है. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं और किसानों से बातचीत भी की.

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित इस कार्यक्रम के जरिये प्रधानमंत्री ने मत्स्यपालन तथा पशुपालन क्षेत्र के लिए कई और योजनाओं की शुरुआत की. इस योजना की शुरुआत बिहार से हुई है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने मोबाइल ऐप ई-गोपाला का भी शुभारंभ किया. यह ऐप किसानों को पशुधन के लिए ई-मार्केटप्लस उपलब्ध कराएगी.

प्रधानमंत्री ने क्या कहा?

प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधन की शुरुआत भोजपुरी भाषा में की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि मछली पालन, डेयरी से जुड़े काम के जरिए किसानों की आय को दोगुना किया जाए. उन्होंने कहा कि मछली पालन की योजना में 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक रुपये खर्च किए जाएंगे. समुद्र से लेकर तालाब तक मछली पालन पर जोर देने के लिए व्यापक योजना पर काम चल रहा है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई नेता मौजूद

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुए इस कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई नेता मौजूद थे. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने लगभग 1700 करोड़ रुपये की अलग-अलग परियोजनाओं का उद्घाटन किया.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को देश भर में मछली पालन को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है. इस योजना के तहत अगले 5 सालों लगभग 20,050 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. मछली पालन के क्षेत्र में आजादी के बाद से अब तक का यह सबसे बड़ा निवेश है.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मछली उत्पादन को 150 लाख टन से बढ़ाकर 220 लाख टन तक करना है. सरकार के अनुसार इस स्कीम से देश में लगभग 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. सरकार का मुख्य मकसद मछली पालन के निर्यात को बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना है.

मत्स्य संपदा योजना का लाभ केवल मछुआरा समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों को मिलेगा. जलीय क्षेत्रों से संबंध रखने वाले और जलीय कृषि का कार्य करने वाले या इसके लिए इच्छुक व्यक्ति ही इस योजना के पात्र होंगे. समुद्री तूफान, बाढ़, चक्रवात जैसी किसी प्राकृतिक आपदा का बुरी तरह से ग्रसित मछुआरों को इसका लाभ मिलेगा.

क्या है ई-गोपाला ऐप

ई-गोपाला ऐप के बारे में खुद पीएम ने ट्वीट कर कहा है कि यह हमारे मेहनती किसानों के लिए एक व्यापक नस्ल सुधार बाजार और सूचना पोर्टल प्रदान करता है. यह एक अभिनव प्रयास है, जिससे कृषि क्षेत्र को बहुत लाभ होगा. इसके मुताबिक यह ऐप किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिए एक व्यापक नस्ल सुधार बाज़ार और सूचना पोर्टल है. इस ऐप के जरिए कृत्रिम गर्भाधान, पशु की प्राथमिक चिकित्सा, टीकाकरण, उपचार आदि और पशु पोषण के लिए किसानों का मार्गदर्शन किया जा सकेगा. ई-गोपाला ऐप इन सभी पहलुओं पर किसानों को समाधान प्रदान करेगा.

 

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