नोबेल पुरस्कार विजेता जॉन ह्यूम का निधन
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने आयरलैंड के नेता और नोबेल पुरस्कार विजेता जॉन ह्यूम के निधन पर शोक व्यक्त किया.
आयरलैंड के पूर्व राजनीतिज्ञ और नोबेल पुरस्कार विजेता जॉन ह्यूम का हाल ही में निधन हो गया. वे 83 साल के थे. यह जानकारी उनके परिवार ने एक बयान में दी है. वे कई साल से बीमार चल रहे थे. उन्होंने लंबी बीमारी के बाद लंदनडेरी के एक नर्सिंग होम में आखिरी सांस ली.
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने आयरलैंड के नेता और नोबेल पुरस्कार विजेता जॉन ह्यूम के निधन पर शोक व्यक्त किया. दलाई लामा ने कहा कि ह्यूम की संघर्ष को सुलझाने के लिए शांति और अंहिसा के प्रति प्रतिबद्धता थी. इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता था कि वह कितना जटिल एवं कठिन है. उन्होंने जो सार्थक जीवन जीया वह दूसरों के लिए एक उदाहरण है.
आयरलैंड के प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
आयरलैंड के प्रधानमंत्री मिशेल मार्टिन ने कहा कि ह्यूम एक महान नायक और एक सच्चे शांति कार्यकर्ता थे. पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने उन्हें एक पॉलिटिकल टाइटन, एक विजनरी बताया, जिन्होंने यह मानने से इंकार कर दिया था कि भविष्य को अतीत के जैसा होना चाहिए.
नोबेल पुरस्कार से क्यों सम्मानित किया गया था?
जॉन ह्यूम अपने देश उत्तरी आयरलैंड में विद्रोहियों के साथ समझौता कराने में अहम भूमिका के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इस समझौते की वजह से उत्तरी आयरलैंड में हिंसा खत्म हुई. उदारवादी सोशल डेमोक्रेटिक एंड लेबर पार्टी के कैथोलिक नेता ह्यूम को उत्तरी आयरलैंड में साल 1998 के शांति समझौते का मुख्य सूत्रधार माना जाता है.
लेबनान सरकार ने दो सप्ताह के लिए देश में इमरजेंसी लगाने की घोषणा की
लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए भीषण विस्फोट के बाद सरकार ने दो सप्ताह के लिए आपातस्थिति की घोषणा की है और इस दौरान सेना को व्यापक अधिकार प्रदान कर दिए गए हैं. विस्फोट के कारण शहर में मीलों दूर तक इमारतों को नुकसान पहुंचा है.
यह धमाका तब हुआ है जब लेबनान आर्थिक संकट में बुरी तरह से घिरा हुआ है. लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री हमाद हसन ने कहा है कि धमाके में कई लोग ज़ख़्मी हुए हैं और भारी नुक़सान हुआ है. इस घटना में 100 से अधिक लोग मारे गए और करीब 4,000 लोग घायल हो गए. इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने लेबनान के लोगों के प्रति संवेदना जतायी है.
इयोन मोर्गन ने इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाले कप्तान बने
इयोन मोर्गन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाले कप्तान बन गए हैं. इयोन मोर्गन के बतौर कप्तान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 213 छक्के हो गए हैं और उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी के 211 छक्कों का विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया है. धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोन्टिंग के 171 छक्कों को पीछे छोड़ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया था.
इयोन मोर्गन ने अपने वनडे करियर का 13वां शतक आयरलैंड के खिलाफ लगाया. उन्होंने आतिशी पारी खेलते हुए 84 गेंदों पर 15 चौकों व 4 छक्कों की मदद से 106 रन की पारी खेली. इंग्लैंड की तरफ से वनडे क्रिकेट में अब वे शतक लगाने के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच गए हैं.
आरबीआई ने स्वर्णाभूषणों के बदले कर्ज का अनुपात बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 06 अगस्त 2020 को गैर-कृषि कार्यों के लिए सोने के आभूषणों के बदले दिये जाने वाले कर्ज की सीमा को 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दिया. बढ़ी हुई यह सीमा 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध होगी.
आरबीआई ने विकासात्मक तथा नियामकीय नीतियों पर अपने बयान में कहा कि घरों, उद्यमियों और छोटे व्यवसायों पर कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव को आगे और कम करने के मकसद से गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए सोने के आभूषणों और अन्य अलंकारों को गिरवी रखकर लिए जाने वाले कर्ज के संबंध में स्वीकार्य मूल्य पर आधारित ऋण अनुपात को 75 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत करने का निर्णय किया गया है.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने की घोषणा की पहली वर्षगाँठ
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने की घोषणा की पहली वर्षगाँठ मनाई गई. पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का पुनर्गठन किया गया.
लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा भी समाप्त हो गया. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य को स्वायत्ता प्रदान की गयी थी. जम्मू-कश्मीर पर केन्द्रीय विधानपालिका की शक्तियां सीमित हैं.
रिलायंस बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ब्रांड
रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) को फ्यूचरब्रांड इंडेक्स 2020 में दूसरे सबसे बड़े ब्रांड के तौर पर रैंकिंग मिली है। इसमें पहले स्थान पर अमेरिकी की दिग्गज टेक कंपनी एप्पल है. फ्यूचरब्रांड ने कहा कि रिलायंस पहली बार इस सूची में शामिल हुई और लंबी छलांग लगाते हुए सीधे दूसरे नंबर पर पहुंच गई है. कंपनी ने हर लिहाज से जबरदस्त प्रदर्शन किया है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ये सफलता ऐसे समय में हासिल की है जब कंपनी का मार्केट कैप 14 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है और कंपनी कर्ज मुक्त हो चुकी है. इस सूचकांक में रिलायंस से आगे अब सिर्फ आईफोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एप्पल है. रिलायंस भारत की सबसे अधिक लाभ कमाने वाली कंपनियों में से एक है.
केंद्र सरकार ने सेबी चेयरमैन अजय त्यागी को 18 महीने का सेवा विस्तार दिया
केंद्र सरकार ने इससे पहले त्यागी के कार्यकाल को इस साल फरवरी में छह महीने के लिए तब बढ़ाया था, जब उनका पहला तीन साल का कार्यकाल खत्म होने के करीब था.
केंद्र सरकार ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख अजय त्यागी का कार्यकाल बढ़ा दिया है. उनका कार्यकाल इस साल सितंबर के आखिर में खत्म हो रहा था. केंद्र सरकार ने त्यागी के कार्यकाल को फरवरी 2022 तक के लिए बढ़ा दिया है.
यह कार्मिक मंत्रालय के आदेश में कहा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने त्यागी का कार्यकाल 18 महीने के लिये बढ़ाने का मंजूरी दे दी. केंद्र सरकार ने इससे पहले त्यागी के कार्यकाल को इस साल फरवरी में छह महीने के लिए तब बढ़ाया था, जब उनका पहला तीन साल का कार्यकाल खत्म होने के करीब था.
कार्यकाल कब से कब तक बढ़ा है?
उनका कार्यकाल 01 सितंबर 2020 से 28 फरवरी, 2020 तक के लिये बढ़ाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने त्यागी के सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी है. आमतौर पर सेबी प्रमुख के कार्यकाल को दो साल के लिए बढ़ाया जाता है. जब अजय त्यागी अपना बढ़ा हुआ कार्यकाल पूरा कर लेंगे, तो यह अवधि खत्म हो जाएगी.
अजय त्यागी के बारे में
अजय त्यागी हिमाचल प्रदेश कैडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी (सेवानिवृत्त) हैं. उन्हें तीन साल के लिये मार्च 2017 में सेबी चेयरमैन नियुक्त किया गया था. उन्हें मार्च 2020 में छह महीने अगस्त तक के लिये सेवा विस्तार दिया गया था.
अजय त्यागी 01 मार्च 2017 में सेबी के चेयरमैन बने थे. उनसे पहले यू के सिन्हा छह साल तक इस पद पर रहे थे. सेबी का चेयरमैन बनने पहले त्यागी डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनमिक अफेयर्स में एडिशनल सेक्रटरी (इनवेस्टमेंट) थे.
अजय त्यागी के कार्यकाल के दौरान सेबी ने कई सारे सुधार किये. इनमें कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर उदय कोटक समिति की नियुक्ति और इसकी सिफारिशों पर क्रियान्वयन के अलावा म्युचुअल फंड कैटेगरीज में बदलाव लाने के साथ ही कार्वी मामले में तेजी से कार्रवाई करना भी शामिल है.
सेबी के बारे में
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है. इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई तथा सेबी अधिनियम 1992 के तहत वैधानिक मान्यता 30 जनवरी 1992 को प्राप्त हुई थी. इसका मुख्यालय मुंबई में है. सेबी प्रमुख कार्य प्रतिभूति बाज़ार के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल नियुक्त
मनोज सिन्हा को गिरीश चंद्र मुर्मू की जगह जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल का दायित्व सौंपा गया है. गिरीश चंद्र मुर्मू ने अचानक से 05 अगस्त 2020 को इस्तीफ़ा दे दिया था
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को हाल ही में जम्मू कश्मीर का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति भवन की तरफ से इस आशय की सूचना जारी की गई है. भाजपा नेता मनोज सिन्हा पूर्वांचल में भाजपा के बड़े चेहरों में से एक हैं. राष्ट्रपति भवन की तरफ से मनोज सिन्हा की नियुक्ति का घोषणा किया गया है.
मनोज सिन्हा को गिरीश चंद्र मुर्मू की जगह जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल का दायित्व सौंपा गया है. गिरीश चंद्र मुर्मू ने अचानक से 05 अगस्त 2020 को इस्तीफ़ा दे दिया था. राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफ़ा मंज़ूर कर लिया है. गिरीश चंद्र मुर्मू को पिछले वर्ष 29 अक्टूबर को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को गोवा भेजे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया गया था.
मनोज सिन्हा को बड़ी जिम्मेदारी
मनोज सिन्हा की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद नेताओं में होती है. ऐसे में अब एक बार फिर केंद्र सरकार की ओर से मनोज सिन्हा को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.
मनोज सिन्हा कौन हैं?
मनोज सिन्हा पूर्व में गाजीपुर से सांसद रहे हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बड़े चेहरे हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मनोज सिन्हा मंत्री रह चुके हैं और उनके पास रेलवे के राज्यमंत्री और संचार राज्यमंत्री का कार्यभार था.
मनोज सिन्हा का जन्म 01 जुलाई 1959 को गाजीपुर के मोहनपुरा में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के प्राथमिक विद्यालय से किया था. इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए बनारस चले गए. मनोज सिन्हा आइआइटी बीएचयू से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक किए हुए हैं.
वे साल 1989 में भाजाप राष्ट्रीय परिषद के सदस्य बने और साल 1996, साल 1999, साल 2014 में गाजीपुर से सांसद बने. वे साल 1999 से साल 2000 तक ऊर्जा, संबंधी स्थायी समिति के सदस्य भी रहे. मनोज सिन्हा साल 2014 में गाजीपुर से चुनाव जीते थे, जिसके बाद केंद्र सरकार में उनके पास दो मंत्रालय थे. पूर्वांचल से आने वाले मनोज सिन्हा साल 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे.
RBI ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव
रेपो रेट को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है.
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन-दिवसीय बैठक के बाद 06 अगस्त 2020 को रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किए जाने की घोषणा की. रेपो रेट को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है.
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट को 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट को 3.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है. लेकिन उन्होंने कहा कि भविष्य में कोविड-19 संकट की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए जरूरत पड़ने पर दरों में और अधिक कटौती की जा सकती है.
रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या है?
आरबीआई बैंकों को जिस रेट पर कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते है. इसी आधार पर बैंक भी ग्राहकों को कर्ज मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने से बैंकों को बड़ी राहत मिलती है. बैंक भी इसके बाद कर्ज को कम ब्याज दर पर ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं.
रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में रिवर्स रेपो रेट काम आती है. नकदी बाजार में जब भी बहुत ज्यादा दिखाई देती है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, जिससे की बैंक ज्यादा ब्याज कमाने हेतु अपनी रकम उसके पास जमा करा दे.
आरबीआई ने कब बदलाव किया था
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछली 22 मई 2020 को अपनी नीतिगत दर में बदलाव किया था. आरबीआई ने बैंकर्स और उद्योग की मांग पर कॉरपोरेट कंपनियों के लिए कर्ज पुनर्गठन की सुविधा की 06 अगस्त 2020 को घोषणा की. आरबीआई गवर्नर ने बताया कि सात जून 2020 को जारी प्रूडेंशियल फ्रेमवर्क के आधार पर पुनर्गठन की अनुमति दी जाएगी.
आरबीआई पहले ही फरवरी से लेकर अब तक रेपो रेट में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है. इससे पहले आरबीआई ने पिछले साल रेपो रेट में 1.35 प्रतिशत की कटौती की थी.
आरबीआई गवर्नर ने क्या कहा?
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीद अभी भी कम ही है और ये बुरी खबर इसलिए है क्योंकि कोविड-19 के मामलों में कमी की बजाए बढ़ोतरी हो रही है.
एमपीसी की 24वीं बैठक
आरबीआई के गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) छह अगस्त को मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगी. यह एमपीसी की 24वीं बैठक है. हालांकि नीतिगत दर में कटौती को लेकर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय कोविड-19 के प्रभाव से निपटने के लिये कर्ज पुनर्गठन ज्यादा जरूरी है.