भारत-यूके ने मुक्त व्यापार समझौते के लिए साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की
दोनों देशों – भारत और यूनाइटेड किंगडम ने खुले दिमाग से बातचीत की और आपस में लंबे समय से चले आ रहे व्यापार और आर्थिक संबंधों को पुनर्जीवित और फिर से बहाल करने की प्रतिबद्धता साझा की.
भारत और यूनाइटेड किंगडम ने इस 24 जुलाई, 2020 को अपनी 14 वीं संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति की बैठक के दौरान एक मुक्त व्यापार समझौते के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की है.
इस वर्चुअल मीटिंग की सह-अध्यक्षता केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल और यूके की विदेश सचिव एलिजाबेथ ट्रस ने की. इस बैठक में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री, हरदीप सिंह पुरी और ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार राज्य मंत्री, रानिल जयवर्धन भी शामिल हुए थे.
इस बैठक के समापन पर, यह निर्णय लिया गया कि इस बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन की व्यापार मंत्री एलिजाबेथ ट्रस के नेतृत्व में एक विचार-विमर्श आगामी अगस्त माह में नई दिल्ली में होगा.
14 वीं संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति की बैठक की मुख्य विशेषताएं
• इस 14 वीं संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति की बैठक के दौरान, भारत और यूनाइटेड किंगडम ने एक मुक्त व्यापार समझौते के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की है और इस दिशा में ये दोनीं ही देश वक्त से पूर्व उपज सौदों या सीमित व्यापार समझौतों में चरणबद्ध तरीके से शामिल होने के लिए सहमत हुए.
• एमओएस हरदीप सिंह पुरी और उनके यूके समकक्ष रानिल जयवर्धन इन दोनों देशों के बीच बातचीत को तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए मासिक बैठक करेंगे.
• व्यापार सह-अध्यक्षों ने जीवन विज्ञान और स्वास्थ्य पर संयुक्त कार्य समूहों का नेतृत्व किया, पिछली संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति की बैठक के दौरान गठित आईसीटी और फूड एंड ड्रिंक संगठनों ने मंत्रियों को अपनी सिफारिशें दीं.
इस बैठक में औपचारिक वार्ता हुई, जिसके बाद समझौता ज्ञापन सत्र आयोजित किया गया, जिसमें यूके के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार राज्य मंत्री, रानिल जयवर्धन और यूके के निवेश राज्य मंत्री, गेरी ग्रिमस्टोन शामिल थे. इन मंत्रियों ने चंद्रजीत बनर्जी और अजय पीरामल सहित ऐसे कई प्रमुख व्यापारिक नेताओं के साथ बातचीत की, जो इंडिया यूके के सीईओ फोरम के सह अध्यक्ष हैं.
• दोनों देशों – भारत और यूनाइटेड किंगडम ने खुले दिमाग से बातचीत की और आपस में लंबे समय से चले आ रहे व्यापार और आर्थिक संबंधों को पुनर्जीवित और फिर से बहाल करने की प्रतिबद्धता साझा की.
• भारत और यूके ने कोविड -19 महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग करने का भी विशेष रूप से संकल्प लिया.
चीन पर भारत सरकार का बड़ा फैसला, बैन किए 47 और चीनी ऐप्स
भारत सरकार ने ऐसे में कुल 106 ऐप्स को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है. वहीं यह भी खबर है कि केंद्र सरकार ने 275 चीनी मोबाइल ऐप की लिस्ट तैयार की है, जिन पर आने वाले समय में बैन लगाया जा सकता है.
केंद्र सरकार ने भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच 47 और चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है. केंद्र सरकार पहले ही 59 चीनी ऐप पर बैन लगा चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये सभी 47 ऐप्स पहले बैन हुए 59 ऐप्स के क्लोन हैं, हालांकि बैन हुए इन 47 ऐप्स के नाम अभी सामने नहीं आए हैं.
भारत सरकार ने ऐसे में कुल 106 ऐप्स को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है. वहीं यह भी खबर है कि केंद्र सरकार ने 275 चीनी मोबाइल ऐप की लिस्ट तैयार की है, जिन पर आने वाले समय में बैन लगाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त कई चीनी इंटरनेट कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
47 ऐप पर डेटा चोरी करने का आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बताया जा रहा है कि ये 47 ऐप भी देश के डाटा प्रोटोकाल का उल्लंघन कर रही थीं और इनपर डाटा चोरी करने का भी आरोप है. ये ऐप यूजर्स की निजी और गोपनीय जानकारी को इस्तेमाल कर रहे थे और इन्होंने गोपनीयता कानून का उल्लंघन भी किया है जिस वजह से इनके ऊपर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है.
इससे पहले 59 चीनी ऐप पर बैन
भारत सरकार ने इससे पहले 29 जून को 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. जिन ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें टिकटॉक, यूसी ब्राउजर, शेयर इट आदि ऐप्स हैं. इनके अतिरिक्त हैलो, लाइक, कैम स्कैनर, शीन क्वाई भी बैन कर दिया गया है. बायडू मैप, केवाई, डीयू बैटरी स्कैनर भी बैन हो गया है. केंद्र सरकार ने इन चीनी ऐप्स पर आईटी एक्ट 2000 के तहत बैन लगाया था.
प्रायवेसी के उल्लंघन का आरोप
केंद्र सरकार ने अब 275 ऐसे ऐप्स की लिस्ट बनाई है, जिन पर प्रायवेसी के उल्लंघन का आरोप है. साथ ही ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बताए गए हैं. इस लिस्ट में गेमिंग चायनीज ऐप्स शामिल हैं. इस लिस्ट में PubG भी शामिल है, जिसमें चीन की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी टेंसेंट का हिस्सा है.
पृष्ठभूमि
आपकों बता दे कि लद्दाख की गलवान घाटी में 15-16 जून की रात चीन की सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद से ही चीन और उसके प्रोडक्ट समेत सभी ऐप्स को लेकर भारत के लोगों में गुस्सा था जिसके बाद 29 जून 2020 को सरकार ने 59 चीनी ऐप बैन किए थे.
फ्रांस से भारत के लिए रवाना हुए पांच राफेल फाइटर जेट
पाकिस्तान और चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच इन फाइटर जेट का भारत के लिए रवाना होना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने के लिए पांच राफेल फाइटर जेट फ्रांस से 27 जुलाई 2020 को रवाना हो गये है. इन पांचों फाइटर प्लेन को सात भारतीय पायलट उड़ाकर हरियाणा के अंबाला एयरबेस ला रहे हैं. ये पांचों राफेल विमान 29 जुलाई 2020 को भारत पहुंचेंगे.
पाकिस्तान और चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच इन फाइटर जेट का भारत के लिए रवाना होना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. फ्रांस में भारतीय दूतावास ने राफेल विमानों के उड़ान भरने से पहले इन राफेल विमानों और इंडियन एयरफोर्स के पायलटों की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर जारी की है.
अंबाला में इन राफेल जेट को को तैनात किया जाएगा
फ्रांस से भारत आते समय पांचों फाइटर प्लेन को 28 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अल डाफरा एयरबेस पर उतारा जाएगा. अल डाफरा एयरबेस की जिम्मेदारी फ्रांस एयरफोर्स के पास है. यहां पर राफेल विमानों की चेकिंग की जाएगी और फ्यूल भरा जाएगा. इसके बाद पांचों राफेल विमान 29 जुलाई की सुबह भारत पहुंचेंगे. अंबाला एयरबेस पर इन राफेल जेट को को तैनात किया जाएगा.
राफेल को मिसाइल से लैस किया जाएगा
अंबाला एयरबेस पहुंचने के बाद राफेल विमानों को मिसाइल से लैस किया जाएगा. इसमें मेटेओर, स्कैल्प और हैमर मिसाइल शामिल हैं. राफेल पहला स्क्वाड्रन अंबाला में स्थित होगा, दूसरा पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगा.
36 राफेल विमान की डील
बता दें कि, भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल विमान की डील हुई है. इसमें से अभी सिर्फ पांच विमान की डिलीवरी भारत को दी जा रही है. अबतक वायुसेना के 12 लड़ाकू पायलटों ने फ्रांस में राफेल लड़ाकू जेट पर अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है. बता दें कि भारत ने लगभग 58 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
कुल 36 राफेल में से 30 लड़ाकू विमान हैं, जबकि छह ट्रेनर विमान हैं. ट्रेनर विमान दो सीटों वाले हैं. उनमें लड़ाकू विमानों जैसी ही खासियतें होंगी. वायुसेना ने राफेल के रखरखाव और तैनाती के लिए दोनों स्टेशनों पर करीब 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
नोट :- आज ही के दिन 28 जुलाई 1914 को प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ हुआ था | इस युद्ध का मुख्य कारण ऑट्रेलिया के राजकुमार फेर्डीनंद की बोस्निया की राज्यधानी शेराजेवो में हत्या था। यह युद्ध वर्ष 1914 से 1918 तक मध्य यूरोप,एशिया एवं अफ्रीका तीन महाद्वीपों के मध्य जल थल तथा आकाश में लड़ा गया। प्रथम विश्व युद्ध लगभग 52 महीनो तक चला। इसमें लगभग 37 देशों ने भाग लिया।