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हर्षवर्धन – अंतिम हिन्दू सम्राट | Harshvardhan History in Hindi
- पुष्यभूति वंश की स्थापना प्रभाकर वर्धन ने की थी, ये बड़े ही प्रतापी राजा थे,इनके दो पुत्र तथा एक पुत्री थी, पुत्र हर्षवर्धन और राज्यवर्धन तथा पुत्री राज्यश्री ,राज्यश्री का विवाह ग्रह वर्मन से हुआ जो मौखरी वंश का शासक था इससे पुष्यभूति वंश के सम्बन्ध मौखरी वंश से हो गए
- प्रभाकर वर्धन की मृत्यु के बाद उसका बेटा राज्यवर्धन शासक बना, उधर राज्यश्री के पति गृह वर्मा की हत्या मालवा के शासक देवगुप्त तथा गौड़ नरेश शशांक ने मिलकर कर दी और राज्यश्री को बंदी बना लिया, और जब राज्यवर्धन अपनी बहन को बचाने आगे बढ़ा तो उसकी भी हत्या धोखे से कर दी गयी, अब हर्षवर्धन गद्दी पर बैठा उस वक्त हर्ष की आयु मात्र 16 वर्ष थी
गद्दी पर बैठने के साथ ही हर्षवर्धन के सामने दो बड़ी चुनौतियां थीं –
- अपनी बहन राज्यश्री को ढूँढना तथा
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क्या उद्देश्य था हुएन्सांग का भारत आने का
- हुएनसांग नालंदा यूनिवर्सिटी में पढ़ने आया था तथा बौद्ध ग्रंथों का संकलन करने आया थाअपने भाई तथा बहनोई की हत्या का बदला लेना
- सबसे पहले उसने अपनी बहन को अपने एक बौद्ध भिक्षु मित्र दिवाकर मित्र जिसका नाम था उसकी मदद से ढूंढ निकाला वह उस वक्त सती होने जा रही थी,इसके पश्चात उसने शशांक से बदला लेने निकला ,इसकी खबर लगते ही शशांक भाग निकला परंतु हर्ष ने उसे बंगाल में हराया तथा बंगाल पर आधिपत्य कर लिया
- हर्ष के विजय अभियान को रोका बादामी के चालुक्यों में से एक पुलकेशियन द्वितीय ने, इसने हर्ष को नर्मदा नदी के किनारे पर हराया
- हर्षवर्धन के काल में हुएनसांग भारत आया था |