महमूद गजनवी (971 ईश्वी से 1030 ईश्वी)
1000 AD में महमूद गजनी के आक्रमण : महमूद गजनी ने पहली बार 1000 AD में आधुनिक अफ़्गानिस्तान और पाकिस्तान पर हमला किया था | इसने हिन्दू शासक जय पाल को पराजित किया जिसने बाद में आत्महत्या कर ली और उसका पुत्र आनंदपाल उसका उत्तराधिकारी बना |
- गजनी ने भाटिया पर 1005 AD में आक्रमण किया |
- गजनी ने मुल्तान पर 1006 AD में हमला किया | इसी दौरान आनंदपाल ने उस पर हमला किया |
- गजनी के महमूद ने भटिंडा के शासक सुखपाल पर 1007 AD में हमला किया और उसे कुचल दिया |
- गजनी ने पंजाब के पहाड़ियों में नगरकोट पर 1011 AD में हमला किया |
- महमूद ने, आनंदपाल के शाही राज्य पर आक्रमण किया और उसे वैहिंद के युद्ध में, पेशावर के निकट हिन्द शाही राजधानी में 1013 AD में हरा दिया |
- गजनी के महमूद ने 1014 AD में थानेसर पर कब्जा कर लिया |
- गजनी के महमूद ने 1015 AD में कश्मीर पर आक्रमण किया |
- इसने 1018 AD में मथुरा पर आक्रमण किया और शासकों के गठबंधन को हरा दिया, जिसमे चन्द्र पाल नाम का शासक भी था |
- महमूद ने 1021 AD में कनौज के राजा चन्देल्ला गौड़ को हराकर, कनौज को जीत लिया |
- महमूद गजनी के द्वारा ग्वालियर पर 1023 AD में हमला हुआ और उस पर कब्जा कर लिया |
- महमूद गजनी ने 1025 AD में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया ताकि मंदिर के अंदर की धन संपत्ति को लूट कर एकत्रित कर सके |
- अपने आखिरी आक्रमण के दौरान मलेरिया के कारण महमूद गजनवी की 1030 AD में मृत्यु हो गई |
महमूद गजनवी ने क्यूँ भारत पर हमले किए ?
वह भारत की अधिक धन संपत्ति से आकर्षित था | इसी कारण उसने भारत पर एक के बाद एक हमले किए | इसने भारत पर आक्रमण के दौरान धार्मिक आयाम को भी जोड़ा | गजनी ने सोमनाथ, कांगड़ा, मथुरा और ज्वालामुखी के मंदिरों को नष्ट कर के “मूर्ति तोड़” के रूप में नाम कमाना चाहा |
भारत पर गजनवी के हमलों का असर
यद्यपि भारत पर गजनवी के आक्रमणों का कोई गहरा राजनीतिक असर नहीं है | इन आक्रमणों ने राजपूत राजाओं की युद्ध रणनितियों की कमियों के बारे में खुलासा कर दिया | इससे एक खुलासा और हुआ कि भारत में राजनीतिक एकरूपता नहीं थी और इस बात ने भविष्य में ज्यादा हमलों को बुलावा दिया